काफी समय से वक्फ बहुत चर्चा मे चल रहा था, जिसकी मुख्य वजह जमीन पर दावा को लेकर थी, ये चर्चा तक और भी तेज़ हो गई जब 2022 मे वक्फ बोर्ड मे तमिलनाडु के पूरे गांव को ही वक्फ की जमीन होने का दावा कर दिया जिसमे प्राचीन मंदिर भी था। वक्फ मुस्लिम समुदाय से जुड़ा एक अधिनियम हैं, जिसमे चल और अचल सम्पतियों का लेखा जोखा होता हैं और उसकी देख रेख के लिए नियम बनाए गयें हैं। और यह देश की आजादी से पहले से है। आईये जानते हैं, विस्तार से –
क्या हैं, वक्फ मतलब
वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ हैं-अल्लाह के नाम अपनी चल(पैसा, सोना,गाड़ी इत्यादि) और अचल(ज़मीन, घर) सम्पति को दान कर देना.
कब हुईं इसकी शुरुवात
वक्फ बोर्ड को सबसे पहले 1954 मे सेंट्रेलाइज किया गया, जो कि वक्फ अधिनियम पारित किया गया। जिसका प्रमुख उद्देश्य भारत से पाकिस्तान गए मुसलमानों की ज़मीन को वक्फ बोर्ड के हवाले करना था।
कब कब हुए बदलाव
मे अल्पसंख्यक मंत्रालसबसे पहले 1964य के अंतरगर्त केन्द्रीय वक्फ परिषद् का गठन हुआ। इस परिषद् का मुख्य कार्य वक्फ बोर्ड के कार्यों के बारे में केन्द्र सरकार को सलाह देना हैं । जिसके बाद 1995 में भी इसमें बदलाव किया गया जिसमें इसे और ज्यादा मज़बूती मिली इसके तहत अगर वक्फ बोर्ड किसी सम्पति पर दावा कर दें ,तो वह उसकी सम्पति मानी जाएगी। और 1995 में सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश को भी वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई । 2013 में यूपीए सरकार ने वक्फ बोर्ड की शक्तियों को बढ़ा दिया था।
क्या क्या हो सकते बदलाव
मोदी 3.0 के पहले सत्र में वक्फ बोर्ड एक्ट संशोधन बिल 2024 को रखा जाएगा. जिसमे तकरिबन 40 सुधार किए जायेंगें। जिसे केन्द्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी हैं। जिसमें कुछ मुख्य बदलाव ये हैं-
वक्फ बोर्ड जिस सम्पति पर अपना दावा करेगी पहले उसकी जांच की जाएगी वक्फ एक्ट की धारा 40 में सुधार किया जाएगा।
राज्य वक्फ बोर्ड मे महिलाओं की हिस्सेदारी शुनिश्चित की जाएगी ।
इस बोर्ड मे बोहरा शिया मुस्लिम और गरीब मुशलमानों को भी जगह जाएगी।
2022 के आंकड़ों के अनुसार वक्फ बोर्ड के पास तकरीबन 7.87 लाख संपतियां हैं। जिसमें सबसे अधिक संपति उत्तर प्रदेश में हैं।