विपक्षी के कई प्रमुख दलों ने ‘संपत्ति बांटने’ संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को लेकर सोमवार को पर उन ‘जहरीली भाषा’ का इस्तेमाल करने और असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के प्रयास का आरोप लगाया और लोगों का आह्वान किया कि वे इस बयान के खिलाफ निर्वाचन आयोग में शिकायत करें।
कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2021 की जनगणना नहीं कराना बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के संविधान को खत्म करने की साजिश है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि अब ‘झूठ के कारोबार’ का अंत नजदीक है। उन्होंने कहा, ‘‘देश में बेरोज़गारी और महंगाई का पीक (उच्चतम स्तर) है और नरेन्द्र मोदी कहते हैं- सब कुछ ठीक है। उनके पास ‘मुद्दों से भटकाने’ की नई-नई तकनीक हैं, पर झूठ के कारोबार का अंत अब नज़दीक है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को राजस्थान की एक चुनावी सभा में कहा था कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी। मोदी ने यह बात पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का हवाला देते हुए कही, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि देश के संसाधनों पर ‘पहला हक’ अल्पसंख्यक समुदाय का है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘प्रधानमंत्री जहरीली भाषा में दुनिया भर की बातें बोलते हैं। उन्हें एक सीधे से सवाल का जवाब भी देना चाहिए।” उन्होंने कहा, ‘‘1951 से हर दस साल के बाद जनगणना होती आ रही है। इससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का वास्तविक डेटा सामने आता है। इसे 2021 में कराया जाना चाहिए था लेकिन आज तक किया नहीं गया। इस पर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं?”