चौकाघाट से घाघरा घाट तक रेलवे की जमीन की खुदाई, विभाग की चुप्पी पर सवाल

रामनगर( ब्यूरो) रेलवे विभाग अपनी ही जमीन खुदवा रहा है और अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। तीसरी लाइन के लिए मिट्टी पटाई का कार्य हो रहा है, लेकिन ठेकेदार बाहर से मिट्टी लाने के बजाय रेलवे की ही जमीन खोदकर भराई कर रहे हैं। चौकाघाट से लेकर घाघरा घाट तक धड़ल्ले से जेसीबी मशीनें खुदाई कर रही हैं और डंपरों से मिट्टी लोड कर ले जाई जा रही है।

रेलवे ने लखनऊ से गोंडा रेल लाइन के लिए तीसरी पटरी बिछाने का ठेका दिया है, जिसके तहत यह कार्य चल रहा है। लेकिन ठेकेदारों को बाहर से मिट्टी लाकर पटाई करनी थी, जबकि वे रेलवे की अपनी जमीन से ही मिट्टी निकालकर काम चला रहे हैं।

खनन नियमों की उड़ रही धज्जियां

  • खुदाई इतनी गहराई तक की जा रही है, जितनी परमीशन में भी अनुमन्य नहीं होती।
  • रेलवे अधिकारियों की मौन सहमति से यह खुदाई चल रही है, शिकायतें होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
  • खुदाई से रेलवे की अन्य लाइनों और हाईवे पर जलभराव का खतरा बढ़ सकता है।
  • नदी की बालू से भी भराई की जा रही है, जो मानकों के खिलाफ है।
  • चौकाघाट के आगे तो रेलवे बांध के किनारे तक खुदाई कर दी गई है।
  • वन्य जंगल के पास तक खनन किया गया है, जो नियमों का उल्लंघन है।

रेलवे प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में

ब्रिहद स्तर पर मशीनों से खुदाई हो रही है, लेकिन रेलवे के पीडब्ल्यूआई (Permanent Way Inspector) भी इस मामले पर कोई जवाब नहीं दे रहे। खनन नियमों के तहत रेल पटरी और हाईवे से निर्धारित दूरी बनाए रखने का नियम है, लेकिन ठेकेदार इस मानक की भी अनदेखी कर रहे हैं।

अब देखना यह होगा कि रेलवे प्रशासन इस अवैध खुदाई और नियमों की अनदेखी पर कब कार्रवाई करता है या फिर अधिकारियों की चुप्पी यूं ही बनी रहेगी।