सुप्रीम कोर्ट ने इस साल नीट-सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा नहीं कराने के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी और कहा कि परीक्षा स्थगित करने का फैसला ‘उचित तरीके से न्यायसंगत’ है और ‘मनमाना’ नहीं है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि एनएमसी को राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा- सुपर स्पेशियलिटी (नीट-एसएस) का कार्यक्रम जल्द तय करना चाहिए जो अगले साल की शुरुआत में होगी।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आज से 30 दिन की अवधि के भीतर कार्यक्रम घोषित किया जाएगा और इससे अधिक देरी नहीं की जाएगी। पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे। पीठ ने एनएमसी की इस दलील पर सहमति जताई कि हर साल, लगभग 40 प्रतिशत परीक्षार्थी, जो नीट-एसएस परीक्षा देते हैं, स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों के वर्तमान बैचों से संबंधित होते हैं। एनएमसी के वकील ने कहा कि कोविड-19 की वजह से 2021 के बजाय 2022 में शुरू हुए पीजी चिकित्सा पाठ्यक्रम जनवरी 2025 में समाप्त होंगे और यदि इस साल नीट-एसएस परीक्षा कराई गई तो इस पाठ्यक्रम में उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थी इसमें भाग लेने से वंचित रह जाएंगे।