Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-statistics domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the updraftplus domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114
नेता जी के लिए छोड़ दी डॉक्टरी, फिर फ़ौज में भर्ती होकर उड़ा दिए थे सबके होश, जानिए कौन थी कैप्टन सहगल- Amar Bharti Media Group राष्ट्रीय, Women Empowerment Women Empowerment

नेता जी के लिए छोड़ दी डॉक्टरी, फिर फ़ौज में भर्ती होकर उड़ा दिए थे सबके होश, जानिए कौन थी कैप्टन सहगल

आज़ाद हिंद फौज की सच्ची सिपाही और कैप्टन लक्ष्मी सहगल पेशे से एक डाक्टर थी. जिन्होने अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई तमिलनाडू से की . ब्राह्मण समाज में जन्मी लक्ष्मी के अंदर सेवा भाव कूट कूट कर भरा था. जिसके चलते उनका ज्यादा ध्यान गरीब मरीजों का इलाज करने मे रहता था. इतना ही नही जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लोग घायल हो रहे थे, तब ये अपनी सेवाएं देने सिंगापुर तक चली गई. जहां इनकी भेंट नेता जी से हुई और उनसे प्रभावित होकर अपना पेशा छोड़कर आज़ाद हिन्द फौज में शामिल हो गई.

अक्टूबर 1914 में आज ही के दिन(24) जन्मी लक्ष्मी सहगल ने एक तमिल ब्रह्मण परिवार में जन्म लिया था. पढ़ाई लिखाई में होशियार होने के चलते कैप्टन लक्ष्मी ने मद्रास मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर की डिग्री प्राप्त की और फिर उसके बाद अपनी सेवाएं देने सिंगापुर चली गई. इनके अंदर मरीजों के लिए शुरू से ही सेवा भाव था कि जिसका सबसे बड़ा उदाहरण सिंगापुर में गरीब मरीजों के लिए खोला गया निशुल्क क्लीनिक था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब जापान सिंगापुर से ब्रिटेन पर हमला कर रहा था, तब इनकी मुलाकात नेता जी सुभाष चंद्र बोस से हुई. लक्ष्मी नेता जी के विचारों और हौसलों से इतना प्रभावित हुई कि देश को स्वाधीनता दिलाने के लिए नेता जी की बनाई आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गई. इनकी अगुवाई में फ़ौज में करीब 500 नई महिलाएं शामिल हुई , जिसके चलते इन्हें कैप्टन सहगल भी कहा जाने लगा . इन्होंने नेता जी के साथ मिलकर पूरे जज्बे के साथ अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लड़ा. लेकिन सन 1945 में नेता जी की रहस्यमी मृत्यु के बाद फौज बुरी तरह से बिखर गई. और अंग्रेजों ने इन्हें कुछ समय बाद गिरफ्तार कर लिया. लगभग एक साल जेल में रहने के बाद कमज़ोर पड़ते जा रहे दमनकारी अंग्रेजों ने इन्हें रिहा कर दिया.

“आज़ादी के बाद कैप्टन का सफर”
आज़ाद हिंद फौज में अपने साहस के दम पर कर्नल तक के रैंक का सफर करने वाली लक्ष्मी सहगल ने सन 1947 में प्रेम सहगल से विवाह रचा लिया. शादी के बाद लक्ष्मी कानपुर में जा कर बस गई. आजादी के बाद इन्होंने वंछित लोगों के लिए अपनी आवाज़ उठानी शुरू कर दी . सहगल ने गरीबों के इलाज करने के लिए जगह जगह शिविर लगाए. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट इनकी विचारधारा से काफी प्रभावित थे . सन 1971 में बांग्लादेश विभाजन के समय हुई हिंसा में घायलों लोग का इलाज भी खुद जाकर किया. जिसकी पूरे देश ने इनकी प्रशंसा की . कुछ साल बाद इनकी समाज के प्रति सेवा भाव को देखते हुए mcp ने इन्हें राज्य सभा भेजने का काम किया.

“अवसर और चुनौती”
कैप्टन लक्ष्मी उम्र भर लोगों की सेवा के लिए तत्पर रही. इन्होंने अपनी पूरी उम्र देश सेवा में लगाई रखी. इनके द्वारा समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य करने के
लिए सन 1998 में पद्म विभूषण से भी नवाजा गया. वहीं 2002 में इन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर राष्ट्रपति के लिए कलाम को चुनौती दी. हालांकि चुनाव में सहगल मिसाइलमैन अब्दुल कलाम से बुरी तरह से हार गई.

“98 वर्ष तक जारी रखा संघर्ष”
वे उम्र भर समाज में गरीबों और असहाय लोगों के लिए संघर्ष करती रही. बढ़ती उम्र में भी उनकी सेवा लगातार जारी रही . लेकिन गिरते हुए स्वास्थ्य के चलते सन 2012 में 98 वर्ष की आयु में हृदय गति रुकने से इनकी मृत्यु हो गई.

लेखक : नकुल जैन