
स्थानीय संस्कृति, भोजन और लोककथाएं अब बनेंगी पर्यटन की नई पहचान
लखनऊ, 19 मई 2025।
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने घोषणा की है कि राज्य के सात सीमावर्ती जिलों के 35 गांवों को ‘टूरिस्ट विलेज’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य न सिर्फ ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना है, बल्कि स्थानीय संस्कृति, खानपान, परंपराएं और जैव विविधता को वैश्विक पहचान दिलाना भी है।
मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि महराजगंज, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जिलों के चयनित गांवों में विशेष योजनाएं लागू की जाएंगी। हर गांव में 10-10 होमस्टे यूनिट स्थापित की जाएंगी, जहां देश-विदेश से आने वाले पर्यटक ग्रामीण परिवेश में रहकर स्थानीय जीवनशैली का अनुभव कर सकेंगे।
गांवों में रोजगार, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का नया मॉडल
इस योजना के अंतर्गत स्थानीय युवाओं को स्टोरी टेलिंग का प्रशिक्षण देकर उन्हें गांव की लोककथाओं, इतिहास और परंपराओं को रोचक ढंग से प्रस्तुत करने में दक्ष बनाया जाएगा। वहीं, स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को पारंपरिक व्यंजन बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि पर्यटक ‘देसी स्वाद’ से रूबरू हो सकें।
थारू जनजाति के सुंदर हस्तशिल्प उत्पादों को स्थानीय बाजारों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से जोड़ा जाएगा, जिससे पारंपरिक कारीगरों की आमदनी बढ़ेगी और उनकी कलाओं को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।
पर्यटन के मानचित्र पर आएंगे सीमावर्ती गांव
सिद्धार्थनगर जिले के दुल्हासुमाली, बजहा, खुनुवां, कोटिया, घरुआर, बलरामपुर के इमलिया कोडर, चंदनपुर, नरिहवा, लखीमपुर खीरी के बनकटी, पिपरौला, पुरैना, बहराइच के बद्रिया, विशुनापुर, आंम्बा कारीकोट, श्रावस्ती के लालपुर कुसमहवां, मोतीपुर कला, पीलीभीत के नौजल्हा, गभिया सहराई, और महराजगंज के भेड़िहारी, गिरहिया, तरैनी जैसे गांव इस परियोजना के पहले चरण में शामिल किए गए हैं।
मंत्री जयवीर सिंह ने स्पष्ट किया कि यह योजना केवल पर्यटन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक संरक्षण और ग्रामीण विकास की दिशा में एक व्यापक पहल है। सरकार की मंशा है कि पर्यटन के ज़रिए प्रदेश के गांवों को वैश्विक पहचान दिलाई जाए और सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की नई रेखाएं खींची जाएं।
उत्तर प्रदेश अब अपने गांवों को न केवल पर्यटन की दृष्टि से सशक्त कर रहा है, बल्कि उनकी विरासत, विविधता और आत्मा को भी नए आयाम दे रहा है।