लखनऊ | उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से शुक्रवार को उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा 2022 बैच के 111 नव नियुक्त प्रशिक्षु सिविल न्यायाधीश (अवर खंड) और न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के अधिकारियों ने राजभवन में भेंट की।

इस अवसर पर राज्यपाल ने सभी न्यायिक अधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि न्याय केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व भी है। उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को अपने निर्णयों में निष्ठा, निष्पक्षता और मानवीय संवेदनशीलता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
राज्यपाल ने कारागार भ्रमण के अनुभव साझा करते हुए कहा कि कई महिलाएं आर्थिक दंड न भर पाने के कारण सजा पूरी होने के बावजूद जेल में बंद हैं और उनके साथ उनके मासूम बच्चे भी कैद जीवन जी रहे हैं। उन्होंने आग्रह किया कि न्यायिक अधिकारी मामलों की सुनवाई करते समय सामाजिक यथार्थ और मानवीय संवेदना को न भूलें।

राज्यपाल ने गुजरात के अनुभवों का हवाला देते हुए बताया कि किस तरह नारी अदालतें और महिला आयोग प्रभावी रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी पूर्व-न्यायिक संस्थाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक बुराइयों पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता जताई।
उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारी केवल अदालतों तक सीमित न रहें, बल्कि विद्यालयों और ग्रामीण अंचलों में जाकर आमजन को विधिक जानकारी दें। उन्होंने दहेज, बाल विवाह, तलाक, संपत्ति विवाद और किसानों की समस्याओं को चिन्हित कर उनके समाधान हेतु ठोस प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
आनंदीबेन पटेल ने 2022 बैच में 55 प्रतिशत महिला अधिकारियों की नियुक्ति पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि महिला न्यायिक अधिकारियों को महिलाओं से संबंधित मामलों में विशेष संवेदनशीलता के साथ निर्णय लेना चाहिए।

राज्यपाल ने ‘स्वामित्व योजना’ की सराहना करते हुए कहा कि इससे भूमि विवादों में कमी आई है और न्यायालयों पर बोझ घटा है। उन्होंने आंगनवाड़ी केंद्रों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही।
कार्यक्रम के अंत में न्यायिक प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक दिवेश चन्द्र सामंत ने राज्यपाल को पुस्तकों का स्मृति-चिह्न स्वरूप भेंट किया।