मुंबई: जाने माने पत्रकार व लेखक राजेश विक्रांत को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित राज्य स्तरीय जीवन गौरव सम्मान छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता पुरस्कार दिया जाएगा। मंगलवार 18 मार्च को शाम 6 बजे से बांद्रा पूर्व के रंग शारदा में आयोजित समारोह में उन्हें इस पुरस्कार के तहत स्मृति चिन्ह व 1 लाख रुपए की नकद राशि दी जाएगी।
1 जनवरी, 1965 को उत्तर प्रदेश के अमेठी के एक गांव डिगरिहन का पुरवा में जन्में विक्रांत जी ने कर्मभूमि मुंबई में 1990 से स्वतंत्र रुप से लेखन और पत्रकारिता की शुरूआत की। विविध विषयों पर देशभर की 50 से अधिक पत्र-पत्रिकाओं में अब तक उनके 15,000 से भी ज्यादा लेख प्रकाशित हो चुके हैं। वे पत्रकारिता कोश व मीडिया डायरेक्टरी के सहायक संपादक तथा विकलांग की पुकार और गऊ भारत भारती के प्रबंध संपादक हैं।
व्यंग्य लेखन में विशेष रूचि रखने वाले विक्रांत जी को उनकी पुस्तक “बतरस” के लिए महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा आचार्य रामचंद्र शुक्ल व्यंग्य पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है। उनके प्रकाशित कार्यो में सत्संग सार (संपादन-2001), मुंबई में एक और समंदर (संपादन-2005), कथा पुष्पांजलि (मराठी से हिंदी में अनुवाद-2012), हास्य से पगी यादें (मराठी से हिंदी में अनुवाद-2012), मुंबई माफिया: एक एन्साइक्लोपीडिया (मराठी से हिंदी में अनुवाद-2012), श्रीमत परमहंस अद्भुत चरित (संपादन-2013), महामंडलेश्वर विश्वेश्वरानंद गिरिजी महाराज गौरव ग्रंथ (सह-संपादन), अवधी ग्रन्थावली, खण्ड 6 शब्दकोश (संपादन मण्डल सदस्य), बतरस (2015), आमची मुंबई- 2019, अमेठी के मुंबईकर- 2019, कोरोना-डाउन-2021, आजादी की लड़ाई में मुंबई का योगदान ( आचार्य पवन त्रिपाठी के साथ सह लेखन- 2022), स्वातंत्र्य लढ्यातील मुंबईचे योगदान ( आचार्य पवन त्रिपाठी के साथ सह लेखन, मराठी, 2024) तथा मुंबई और हिंदी ( दीनदयाल मुरारका के साथ सह लेखन, 2024) प्रमुख है। इसके साथ ही उनकी 3 अन्य पुस्तकें प्रकाशकाधीन हैं- आमची मुंबई-2, रोम- रोम में राम: मुंबई में रामलीला के भगीरथ कर्मवीर पंडित शोभनाथ मिश्र की जीवन गाथा तथा दृश्य संचार। विक्रांत जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अभय मिश्र द्वारा संपादित पुस्तक “राजेश विक्रांत: व्यक्ति एक व्यक्तित्व अनेक” का अक्टूबर 2015 में “विकलांग की पुकार” द्वारा प्रकाशन हुआ है। वे परम पूज्य स्वानन्द बाबा सेवा न्यास, श्रुति संवाद साहित्य कला अकादमी, लोकायन, प्रेम शुक्ल फाउंडेशन, अवधी सम्मेलन, आशीर्वाद, अमेठी चैरिटेबल ट्रस्ट एवं वाजा इंडिया आदि संस्थाओं से संबद्ध हैं।