शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:
“कुछ लोग सपनों में सितारे देखते हैं… और कुछ उन सितारों तक पहुँचने की ठान लेते हैं। आज हम आपको मिलवाते हैं ऐसे ही एक सपने देखने वाले से — ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला — जो भारत के पहले स्पेस स्टेशन यात्री बने।” उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे शुभांशु का बचपन आम था, पर सपने आसमान से ऊँचे। जब बच्चे पतंग उड़ा रहे होते थे, शुभांशु उन्हें उड़ते हुए देखकर खुद उड़ने की कल्पना कर रहे थे। उनकी पहली प्रेरणा थे राकेश शर्मा — पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री।

शिक्षा और संघर्ष:
शहर के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से पढ़ाई की। पढ़ाई के साथ एक जुनून था — देश की सेवा करना और आसमान की ऊँचाइयों को छूना। 2001 में NDA की परीक्षा दी — वो भी अपनी बहन की शादी के बीच से निकल कर। यह पहली बार था जब उन्होंने दुनिया को दिखाया कि वो साधारण नहीं, कुछ अलग करने आए हैं।

वायु सेना की उड़ान:
2006 में भारतीय वायु सेना में फाइटर पायलट बने। तीन साल के भीतर ही वो विंग कमांडर बन गए और फिर कैप्टन चुने गए | शुभांशु का कहना है कि 1999 के कारगिल युद्ध से उन्हें सेना में जाने की प्रेरणा मिली और पहले ही प्रयास में उन्होंने बाजी मार ली | मिग-21, मिग-29, सुखोई-30, जगुआर जैसे तेज रफ्तार फाइटर जेट उड़ाए और बन गए एक स्किल्ड टेस्ट पायलट। करीब 2,000 घंटे की फ्लाइंग का अनुभव उन्हें मिला पर उनकी नजरें अब भी ज़मीन से ऊपर थीं बहुत ऊपर।

गगनयान से लेकर अंतरिक्ष तक:
शुभांशु को मार्च 2024 में ग्रुप कप्तान की जिम्मेदारी मिली | 2019 में ISRO ने गगनयान मिशन के लिए 4 टेस्ट पायलट चुने — जिनमें शुभांशु भी शामिल थे। रूस में 2 साल की कड़ी ट्रेनिंग ली — जहाँ उन्हें जी-फोर्स, ज़ीरो ग्रैविटी और स्पेस टेक्नोलॉजी की हर बारीकी सिखाई गई। पर कहानी यहीं नहीं रुकी। 2025 में नासा, स्पेसएक्स और ISRO के साथ मिलकर Axiom Mission 4 प्लान हुआ। और फिर आया 25 जून 2025 — जब शुभांशु स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट में बैठकर अंतरिक्ष की ओर रवाना हुए। उनकी मंज़िल थी — इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन।

ISS की उड़ान और इतिहास:
ISS पर उन्होंने विज्ञान के 60 से अधिक प्रयोग किए वो भी माइक्रोग्रैविटी में। इस मिशन के साथ वो बने — भारत के पहले ISS यात्री, और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय। “शुभांशु शुक्ला ने साबित किया सपने वही पूरे होते हैं, जिनके पीछे पसीना, सब्र और संकल्प हो। वो सिर्फ अंतरिक्ष नहीं गए, उन्होंने देश के करोड़ों युवाओं को ये यकीन दिला दिया कि ‘Sky is not the limit!’” Axiom-4 मिशन विज्ञान, शिक्षा और अंतरिक्ष उद्योग के व्यावसायिक भविष्य को लेकर एक नया अध्याय खोल रहा है और उसमें भारत के शुभांशु शुक्ला की भूमिका ऐतिहासिक कही जा सकती है |
