लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में ट्रांसपोर्ट नगर स्थित डिविजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) में 15 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। इसमें शामिल परमिट सेक्शन के कर्मचारी पांच साल तक 5500 परमिट के नवीनीकरण के दौरान वसूली गई जुर्माने की रकम का गबन करते रहे। ऑडिट टीम ने जांच के बाद शासन एवं परिवहन विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है। शासन गबन की रकम का सत्यापन करवा रहा है।
परमिट सेक्शन के कर्मचारी नवीनीकरण के जुर्माने की रकम मैनुअल काउंटर पर जमा कराते थे, जबकि इसकी फीस परमिट सेक्शन में ऑनलाइन कंप्यूटर में जमा होती थी। इससे जाहिर है कि रकम परमिट सेक्शन से लेकर काउंटर तक के कर्मचारियों के बीच बंट रही थी।
दो तरीके से किया गया गबन
आरटीओ के कर्मचारियों ने जुर्माने की रकम का दो तरीके से गबन किया है. इसमें एक तो पुरानी तारीख में वाहन मालिक से परमिट नवीनीकरण की एप्लीकेशन लेकर और दूसरा मैनुअल तरीके से. और तो और वसूले जुर्माने को भी सरकारी खजाने में जमा नहीं किया गया.
गबन की रकम का सत्यापन
शासन ने ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद गबन के सत्यापन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। इसमें शामिल शासन के विशेष सचिव अरविंद कुमार पांडेय, परिवहन विभाग के वित्त नियंत्रक, राजेंद्र सिंह और डिप्टी कमिश्नर (यात्री कर) मुख लाल चौरसिया ने जांच शुरू कर दी है। शासन ने ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद गबन के सत्यापन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है.