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बीमारियों से ग्रसित 172 किलो की महिला ने कोरोना को दी मात- Amar Bharti Media Group हेल्थ

बीमारियों से ग्रसित 172 किलो की महिला ने कोरोना को दी मात

मुंबई. ज्यादातर देखा गया है कि मोटापा, डायबिटीज़, कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित बुजुर्ग मरीज अगर कोविड (Covid) पॉज़िटिव हो जाएं तो बचने की उम्मीद ज़रा मुश्किल दिखती है. लेकिन मुंबई (Mumbai) की 62 साल की 172 किलो वजन की महिला ने जिस तरह कोरोना वायरस (Coronavirus) को हराया, डॉक्टर उसे चमत्कार मान रहे हैं.

ये मुमकिन हुआ समय पर पुख़्ता इलाज होने से. स्वस्थ हुईं मरीज मेहनाज़ लोखंडवाला का कहना है कि ”हॉस्पिटल, दवा, डॉक्टर और ऊपर वाले का हाथ, ये ज़रूरी है. और पूरी दुनिया की मोहब्बत, प्यार और दुआएं, ये सब हमें जिताता है. दिमाग मज़बूत रखो कि कोरोना हमको हराने वाला नहीं है. मैं हराऊंगी लेकिन कोरोना मुझसे नहीं जीतेगा.”

मेहनाज़ लोखंडवाला 62 साल की हैं. उनका वजन 172 किलो है. वे कैंसर, डायबिटीज़, अस्थमा जैसी कई गंभीर बीमारियों के बीच कोविड पॉज़िटिव हुईं. उनका बचना मुश्किल था, लेकिन बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उन्हें जिंदगी दी, जिसे खुद डॉक्टर चमत्कार से कम नहीं मान रहे.

बॉम्बे हॉस्पिटल (Bombay Hospital) के कन्सल्टिंग फ़िज़िशियन डॉ गौतम भंसाली कहते हैं कि ”बॉम्बे हॉस्पिटल में रात दो बजे एडमिट किया. ऑक्सीजन लेवल  82-84 पर चल रहा था. कंडीशन सही नहीं थी. कैंसर, डायबिटीज़, हायपरटेंशन, अस्थमा भी है.

इसके अलावा ओबिसिटी, 172 किलो, शॉर्ट नेक हैं. वेंटिलेटर पर डालना मुश्किल था. इन मुश्किल हालात में भी उन्हें भर्ती किया. ऑक्सीजन फ़्लो हमने हाई रखा.

15 लीटर ऑक्सीजन पर रखा. चार दिन ऐसा चला. एक्सरे बहुत खथराब था. कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से दवा शुरू कीं लेकिन कंडीशन और खराब होती गई. फाइनली BiPap मशीन पर डालना पड़ा.”

करीब एक महीने तक बॉम्बे हॉस्पिटल में रहीं मेहनाज़ जहां एक मिनट में 15 लीटर ऑक्सीजन पर सांसें ले रहीं थीं, अब डिस्चार्ज होने के बाद घर पर एक लीटर ऑक्सीजन पर हैं. वे कहती हैं कि वक्त पर भर्ती होतीं तो और जल्दी रिकवर हो पातीं.

वे अस्पताल जाने और टेस्ट कराने से भागने वालों को ज़रूरी संदेश भी दे रही हैं कि ”ये गलती मत करना. मैंने गलती की, दो दिन नहीं गई हॉस्पिटल. अगर दो दिन पहले जाती तो और पहले रिकवर होती.

अगर डॉक्टर कहते हैं जाओ तो जाओ. ऑक्सीजन की बहुत ज़रूरत पड़ती है. आप प्लीज़ अपने डॉक्टर की सुनिए. मैं भी नहीं जा रही थी. सबने मुझे फ़ोर्स करके भेजा रात के दो ढाई बजे.”

बॉम्बे हॉस्पिटल के कन्सल्टिंग फ़िज़िशियन डॉ भंसाली बताते हैं कि समय पर शुरू हुए इलाज से ही वे बच पाईं. डॉक्टर उन्हें कोविड का सबसे चैलेंजिंग पेशेंट बता रहे हैं. डॉ गौतम भंसाली ने कहा कि ”दस दिन तक BiPap मशीन पर रखा. धीरे- धीरे कंडीशन ठीक हुई.

16-17 वें दिन उनकी कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई. दो रिपोर्ट निगेटिव आईं. आईसीयू से शिफ़्ट किया, फिर भी BiPap पर रखा. फिर ऑक्सीजन मास्क पर आए.

धीरे-धीरे एक्सरे ठीक हुआ. अब एक लीटर ऑक्सीजन पर हैं. एक महीना चार दिन बाद डिस्चार्ज किया है. बहुत ही चैलेंजिंग पेशेंट थीं. जब ऐसा पेशेंट अच्छा होकर घर जाता है तो अलग ख़ुशी मिलती है.”

अस्पताल 28 अगस्त को गईं मेहनाज़ अब अपने घर पर स्वस्थ हो रही हैं. लेकिन एक महीने का ख़तरनाक कोविड सफ़र ये संदेश साफ़ देता है कि समय पर मिला इलाज, पहले से दूसरी गम्भीर बीमारियों और शारीरिक कमज़ोरियों से जूझ रहे कोविड मरीज़ की भी ज़िंदगी बचा सकता है.