
रिपोर्टर – बलवन्त पाण्डेय , अखंडनगर/सुल्तानपुर।
पशुपालकों के लिए राहत की बड़ी खबर है। अब बीमार, असहाय और लावारिस पशुओं का इलाज सीधे उनके घर पर ही हो रहा है — वह भी पूरी तरह सरकारी व्यवस्था के तहत। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित मोबाइल वेटरनरी यूनिट सेवा 1962 ने ग्रामीण पशुपालकों के बीच भरोसे की एक नई मिसाल कायम की है।
इस सेवा के तहत अब तक सैकड़ों पशुपालक लाभान्वित हो चुके हैं और सैकड़ों बेजुबानों को समय पर इलाज मिल चुका है।
ग्राम पंचायत क्षेत्र के निवासी रविंद्र यादव के एक दुधारू पशु की बच्चेदानी में गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई थी। पशु ने चारा-पानी लेना बंद कर दिया था और दूध भी कम हो गया था। निजी चिकित्सकों से इलाज के बावजूद कोई लाभ नहीं हुआ, तब रविंद्र ने 1962 नंबर पर कॉल किया। कुछ ही समय बाद मोबाइल वेटरनरी यूनिट की टीम — डॉ. मित्रसेन यादव, एमटीएस अनिल यादव व पायलट अनुभव — मौके पर पहुंची और उन्होंने गंभीर रूप से बीमार पशु का इलाज किया। उचित इलाज और देखभाल के बाद अब पशु पूर्णतः स्वस्थ है।
रविंद्र यादव ने इस सेवा की प्रशंसा करते हुए कहा,
“यह सेवा हमारे जैसे ग्रामीण पशुपालकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। विशेषज्ञों की टीम ने समय पर पहुंचकर मेरे पशु की जान बचाई।”
क्या है 1962 सेवा?
पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित इस सेवा के तहत कोई भी पशुपालक 1962 पर कॉल कर मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा मंगा सकता है। प्रशिक्षित डॉक्टरों की टीम निर्धारित समय पर संबंधित स्थान पर पहुंचकर बीमार पशुओं का नि:शुल्क इलाज करती है।
इससे पशुपालकों को न सिर्फ समय की बचत होती है, बल्कि उन्हें दूर अस्पताल जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती।
पशुपालकों से अपील
पशुपालन विभाग ने अपील की है कि
“अगर आपके किसी भी पशु की तबीयत खराब हो, तो घबराएं नहीं — तुरंत 1962 नंबर पर कॉल करें और सरकार की इस उपयोगी सेवा का लाभ उठाएं।”