बिहार: 25 सालों से मुआवजे की राशि के लिए चक्कर लगा रही महिला, नहीं मिली राहत महिला मुआवजे की मांग को लेकर 25 वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहीं हैं.
लखीसराय: पटना जिले के मरांची गांव की एक महिला मुआवजे की मांग को लेकर 25 वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहीं हैं. वर्ष 1995 में पति की हत्या अपराधियों द्वारा किए जाने के बाद प्रशासन ने मुआवजे की घोषणा की थी. वहीं, आज तक पत्नी को मुआवजे की राशि के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है.
शनिवार को एकबार फिर महिला के जिला समाहरणालय पहुंचने के बाद इस बात का खुलासा हुआ. मिली जानकारी के अनुसार पटना जिला के मरांची थाना क्षेत्र की रहने वाली महिला प्रमिला देवी के पति शिवशंकर ठाकुर की हत्या वर्ष 1995 में कर दी गई थी. शिवशंकर एक ट्रक ड्राइवर थे और सूर्यगढ़ा थाना क्षेत्र के खर्रा चननिया में लूटपाट के बाद शिवशंकर की हत्या कर दी गई.
उस वक्त के तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्रशेखर प्रसाद ने पीड़िता को मुआवजा देने का आश्वासन भी दिया. जिलाधिकारी ने 1996 में एक फरवरी को गृह विभाग के विशेष सचिव को पत्र लिखकर आवेदिका को मुआवजा देने की मांग की थी. पत्र में तमाम घटनाक्रम का जिक्र किया गया था.
इसके बाद लगातार पीड़िता के गुहार लगाने के बाद भी मुआवजे के तौर पर एक लाख रुपए नहीं दिए जा सका. पीड़िता ने बताया कि उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं. दोनों बेटियां शादी के लायक हो गई है. उनकी आर्थिक स्थिति उतनी ठीक नहीं है कि वो बेटी की शादी भी करा सके. यदि मुआवजे की राशि मिल जाती तो थोड़ी राहत जरूर मिलती.
वहीं, आपदा विभाग के प्रभारी पदाधिकारी राजीव कुमार ने बीडीओ-सीओ को इस मामले में कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है. उन्होंने पत्र जारी कर कहा कि आवेदन पत्र के आलोक में सम्यक कार्रवाई करना सुनिश्चित करें. साथ ही मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी भी उपलब्ध कराएं.