पटना. बिहार समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) निदेशालय द्वारा अब जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षकों और आंगनवाड़ी सेविकाओं के लिए वेबपोर्टल और एप्प के जरिए प्रारंभिक बाल्यवस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) तथा अभिभावकों के लिए सजगता का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
आईसीडीएस के निदेशक आलोक कुमार ने बताया, आईसीडीएस कार्यक्रम के जमीनी स्तर पर सफलतापूर्वक संचालन में हमारी आंगनवाड़ी सेविकाओं और महिला पर्यवेक्षिका की भूमिका महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, किस उम्र तक बच्चे के दिमाग का कितना विकास हो जाता है, इसकी जानकारी आम जनता को नहीं होती है। इसे ध्यान में रखकर ही प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा कार्यक्रम को क्रियान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि नन्हे बच्चों के बौद्धिक विकास एवं सीखने की प्रक्रिया और नौनिहालों के सर्वागीण विकास को ध्यान में रखते हुए उनके भविष्य की गढ़ने की प्रक्रिया में इस पहल का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
आईसीडीएस की सहायक निदेशक श्वेता सहाय ने बताया कि पोषण अभियान के तहत ईसीसीइ के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, नई दिल्ली एवं यूनिसेफ के सहयोग से मोबाइल एप एवं वेब डैशबोर्ड बनाया गया है।
उन्होंने अभिभाकों के लिए सजगता कार्यक्रम के संदर्भ में बताया कि इस कार्यक्रम के तहत पिछले दो महीने से हर सप्ताह गया और पूर्णिया जिले में 5 मिनट का ऑडियो संदेश व्हाट्सएप्प के माध्यम से भेजा जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक सप्ताह के सोमवार को अभिभावकों के लिए ऑडियो संदेश आईसीडीएस में भेजा जाता है।
वहां से जिला प्रोग्राम पदाधिकारी के बाद अन्य अधिकारियों से होते हुए महिला पर्यवेक्षिका और फिर आंगनवाड़ी सेविकाओं तक और अंत में अभिभावकों तक संदेश पहुंचाता है। ऑडियो मैसेज में बच्चों के सही परवरिश के सुझाव, कहानी एवं गीत भेजे जा रहे हैं।
यूनिसेफ, नई दिल्ली की शिक्षा विशेषज्ञ सुनिशा आहुजा प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा और देखभाल (ईसीसीई) पर बनाए गए ई मॉड्यूल के बारे में बताते हुए कहा, इसमें 21 भाग हैं, जिसमें बच्चों के शुरुआती वर्षो का महत्व और मस्तिष्क का विकास, बच्चों के विकास की दृष्टि के अनुसार गतिविधियां, उनके सीखने और विकास का मूल्यांकन सहित कई जानकारियां उपलब्ध हैं।
यूनिसेफ, बिहार की शिक्षा विशेषज्ञ प्रमिला मनोहरण ने कहा कि आईसीडीएस सिर्फ बच्चों के सीखने और सिखाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य, सुरक्षा और अच्छी परवरिश से जुड़ी महत्वपूर्ण योजना है।