मायावती ने कहा कि सपा से गठबंधन की भलाई के लिए 1995 के गेस्ट हाउस कांड का केस वापस लेना उनकी भूल थी. उनके इस बयान को यूपी में नौ नवंबर के राज्यसभा चुनाव में पार्टी को लगे झटके से जोड़कर देखा जा रहा है.
बीएसपी महासचिव सतीश मिश्रा ने भी कहा कि खरीद-फरोख्त सपा की पुरानी प्रथा है. इसमें कोई नई चीज नहीं है. इस चीज के जरिये उन्होंने जो संदेश दिया है कि उससे पूरा देश और पूरे प्रदेश उनके खिलाफ थू-थू करने के काम करेगा.
मायावती ने कहा कि यूपी के विधान परिषद चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को हराने के लिए जरूरी हुआ तो भाजपा के पक्ष में भी वोट करेंगी. गौरतलब है कि बसपा के सात विधायकों ने बगावत कर अखिलेश यादव से मुलाकात की थी.
राज्यसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार के प्रस्तावक बने दस विधायकों में भी पांच ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया था.
सपा से गठबंधन को बताया भारी भूल
मायावती ने कहा, हमें सपा से हाथ नहीं मिलाना चाहिए था. हमें इस बारे गहराई से सोचना चाहिए था, लेकिन हमने जल्दबाजी में निर्णय लिया.
बसपा सुप्रीमो ने यह भी कहा कि हमने लोकसभा चुनाव में गठबंधन के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन अखिलेश पहले ही दिन से सतीश मिश्र से कहते रहे कि दोनों दलों ने हाथ मिला लिया है, लिहाजा केस वापस लिया जाना चाहिए.
उन्होंने आरोप लगाया कि सपा में पारिवारिक फूट के कारण गठबंधन का उन्हें ज्यादा लाभ नहीं मिला. चुनाव बाद उनकी बेरुखी के कारण हमने नाता तोड़ लिया.
प्रियंका ने कसा तंज
मायावती ने कहा, जो भी दल सपा को हराने की स्थिति में होगा, उसे बीएसपी का वोट सुनिश्चित किया जाएगा. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मायावती के बीजेपी को परोक्ष समर्थन के संकेत पर बसपा सुप्रीमो के वीडियो के साथ कमेंट किया, क्या अब और कुछ कहना बाकी रह गया है.
पांच विधायकों ने प्रस्तावक से नाम वापस लिया
इनमें से एक विधायक ने तो प्रस्ताव पर फर्जी हस्ताक्षर होने का दावा भी किया था. इन बागी विधायकों का कहना था कि पार्टी में उनकी अनदेखी हो रही थी और बीजेपी से मिलीभगत की तैयारी थी.
वहीं बीएसपी का आऱोप है कि सपा विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रही है.बीएसपी के प्रयागराज की हांडिया सीट से विधायक हाकम लाल बिंद का कहना है कि उनका फर्जी हस्ताक्षर करके पर्चा दाखिल किया गया था. दूसरा उनका इल्जाम है कि पार्टी के कोआर्डिनेटर उनसे कोई संपर्क नहीं रखते, किसी बैठक में नहीं बुलाते.
पार्टी के कुछ विधायक कहते हैं कि उन्हें अहसास हो गया है कि मायावती बीजेपी के साथ मिल गई हैं. इसलिए उन्होंने प्रस्ताव के बाद भी अपना नाम वापस लेने की चिट्ठी दे दी.
राज्यसभा सीट के लिए घमासान
यूपी में राज्यसभा की दस सीटों के लिए चुनाव होने हैं. एक सीट जीतने के लिए 37 वोटों की दरकार है. बीजेपी के पास 304 विधायक और 16 समर्थकों के वोट हैं. यानी 320. बीजेपी के आठ उम्मीदवारों को जीतने के लिए 296 वोट चाहिए.
इसके बाद उसके पास 24 वोट बचते हैं. भाजपा 13 वोटों का इंतजाम कर अपना नौवां उम्मीदवार भी जिता सकती थी, लेकिन कहा जा रहा है कि उसने अपने ये वोट बीएसपी को देने का वादा किया है.
बीएसपी के पास सिर्फ 18 वोट हैं, जिसमें से मुख्तार अंसारी जेल में है औऱ दो एमएलए पहले से बागी हैं. लिहाजा 15 वोट रखने वाली बीएसपी ने चुनाव में प्रत्याशी उतार दिया है. भाजपा के वोटों के जरिये उनकी जीत पक्की हो जाती.