दिल्ली हिंसा मामले में आरोपी फैजल फारुख को निचली अदालत ने जमानत दे दी थी. निचली अदालत के उस आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट ने पलट दिया है, जिसमें फैजल फारुख को जमानत दी गई थी. हाईकोर्ट ने माना कि आरोपी फैजल फारुख प्रभावशाली व्यक्ति है. वह जेल से बाहर आकर सबूतों और गवाहों को प्रभावित कर सकता है.
दिल्ली हिंसा में आरोपी फैजल फारुख राजधानी स्कूल का मालिक है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक फारुख दिल्ली हिंसा का मास्टरमाइंड था. कड़कड़डूमा कोर्ट ने फैजल फारुख को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे, लेकिन निचली अदालत के इस आदेश को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की इसी याचिका पर फैजल फारुख की जमानत को रद्द कर दिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि निचली अदालत ने फैजल फारुख को जमानत देते हुए कई चीजों की अनदेखी की और साथ ही वक्त से पहले इस मामले में आरोपी को जमानत दी. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि निचली अदालत ने इस आधार पर फारुख को जमानत दे दी कि वह उस इलाके का प्रभावशाली व्यक्ति है और उसके देश छोड़ने का खतरा नहीं है. निचली अदालत ने इस चीज का गौर नहीं किया कि जमानत पर रिहा होने के बाद वह सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है.
गौरतलब है कि कड़कड़डूमा कोर्ट ने 20 जून को आरोपी फैजल फारुख को जमानत दे दी थी. कोर्ट ने फैजल फारुख की जमानत को खारिज करते हुए कहा है कि निचली अदालत ने आरोपी को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समय-समय पर आए उन आदेशों को अनदेखा किया. जमानत देते वक्त अपराध की गंभीरता और दिल्ली हिंसा में उसकी संगीन भूमिका को नजरअंदाज किया गया. दिल्ली हिंसा में फारुख पर आरोप है कि उसने हिंसा करने वालों को इलाके में घुसने दिया और हिंसा के लिए जगह दी. दिल्ली पुलिस का आरोप है कि फैजल फारुख ने हिंसा में संलिप्त लोगों को अपने स्कूल की इमारत में जाने देने और वहां से हिंसा कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि किसी भी व्यक्ति की आजादी कीमती होती है, लेकिन उससे ज्यादा कीमती देश और देश के लोगों की जान होती है. फैजल फारुख को रिहा करने के निचली अदालत के फैसले में इस बात का ध्यान नहीं रखा गया. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस अभी भी इस मामले में जांच कर रही है और एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट जल्द ही कोर्ट में दाखिल करने वाली है, ऐसे में आरोपी ट्रायल और इन्वेस्टिगेशन में बाधा डालने के लिए सबूत और गवाहों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है. लिहाजा उसकी जमानत खारिज की जाती है और निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाता है.