अहिंसा का करो व्यवहार

रे नर अपने को अब संभालो, अपनाओ बस शुद्ध विचार।

महावीर की वाणी मानो, रे मानव कर शाकाहार।।

भक्ष्य अभक्ष्य का भेद तुम जानो, अपनी काया को पहचानो।

मत कर दूषित ये संसार, अपना ले तू शाकाहार।।

महावीर के गुण अपनाओ, शुध्द करो आचार विचार।

मत छीनो निर्बल प्राणी से, उसके जीने का अधिकार।।

देव बनो राक्षसपन त्यागो, फल और फूल का रस तुम भोगों।

रखो मात्र मन में सदविचार, अपनाओ तुम शाकाहार।।

शुध्द करो अपना आहार, क्या खाना क्या हो स्वीकार।

अहिंसा का करो व्यवहार, अपनाओ तुम शाकाहार।।

-:सादर:-

राम प्रकाश अवस्थी(रूह), जोधपुर, राजस्थान

(स्वरचित एवं मौलिक रचना)