भारतीय मूल के मिलिनेयर श्री थानेदार को अमेरिका के मिशिगन में हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव का प्रतिनिधि चुन लिया गया है. अब मिलिनेयर बन चुके थानेदार ने काफी गरीबी देखी है और कभी वह जमीन पर सोते, जमीन पर बैठकर खाते थे.
श्री थानेदार को मिशिगन के तीसरे जिले में 93 फीसदी वोट मिले. उन्होंने इस जिले में जल समस्या, अपराध और बेरोजगारी की समस्या को हल करने का वादा किया है.
आज वे बेहद लक्जरियस लाइफ जी रहे हैं, लेकिन एक समय भारत में उन्होंने काफी गरीबी का जीवन जिया है. उन्होंने खुद अपनी कहानी बयान की है.
जानते हैं गरीबी का दर्द
थानेदार ने भारत के अपने दिनों को याद करते हुए बताया, ‘आज मैं बहुत से लोगों को देखता हूं जिनको कोई उम्मीद नहीं है.
लोगों की हालत वाकई बहुत खराब है और पिछले वर्षों में कुछ नहीं बदला है. कभी मैं भी जमीन पर सोता था, जमीन पर बैठकर खाता था. मैं गरीबी का दर्द जानता हूं.’
उन्होंने मीडिया को बताया कि वह कोरोना महामारी से पहले से ही अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं. वह मास्क पहन, हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हुए घर-घर दस्तक दे रहे थे.
इस राज्य के हैं मूल निवासी
वे मूलत: कर्नाटक के बेलगांव के रहने वाले हैं और उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में बीएससी और एमएससी किया है.
वह साल 1979 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका के एक्रोन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. इसके बाद उन्होंने मिशिगन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया.
चुनाव में रिकॉर्ड खर्च किया था
थानेदार ने साल 2018 में गवर्नर का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गये थे. तब नारा दिया गया था, ‘श्री फॉर वी’.
उन्होंने रिकॉर्ड 1 करोड़ डॉलर की रकम खर्च की थी, इसके बावजूद तीसरे स्थान पर रहे थे.
कैसे बने अमीर
पढ़ाई के बाद उन्होंने अमेरिका में ही 1984 में पेट्रोलाइट कॉरपोरेशन में नौकरी शुरू की. करीब 6 साल तक नौकरी करने के बाद 1990 में उन्होंने सिर्फ तीन कर्मचारियों वाली एक सर्विस कंपनी Chemir को खरीद लिया.
उनके नेतृत्व में सिर्फ 1.5 लाख डॉलर की सालाना बिक्री वाली यह कंपनी 6.3 करोड़ डॉलर के टर्नओवर की कंपनी बन गई और इसमें 400 से ज्यादा कर्मचारी हो गये.
अपने प्रोफेशनल करियर के दौरान श्री ने आठ कंपनियों की खरीद या बिक्री की. इस तरह उन्हें खस्ताहाल कंपनियों की कायापलट करने वाला गुरु मान लिया गया.