सितंबर 2020 में बेरोजगारी दर घटकर 6.7 फीसदी तक पहुंच गया था, लेकिन अक्टूबर में यह फिर बढ़कर करीब 7 फीसदी तक पहुंच गया. अब सबकी नजरें इस महीने के अंत तक आने वाले जीडीपी के आंकड़ों पर हैं. जीडीपी से ही अर्थव्यवस्था की सही तस्वीर सामने आएगी.
CMIE ने कहा कि कई संकेतकों से यह पता चलता है कि मध्य अक्टूबर तक ही श्रम बाजार में स्थिरता आ चुकी थी या उसकी हालत खराब हो रही थी.
पटरी से उतर गया सुधार
आंकड़ों के अनुसार कोरोना लॉकडाउन के बाद मई, जून, जुलाई में रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ था, लेकिन बाद में यह पटरी से उतर गया. अगस्त, सितंबर और अब अक्टूबर में इसमें कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है. रोजगार में जो सुधार हुआ है उसका स्तर भी अभी लॉकडाउन के पहले के दौर से अभी काफी दूर है.
त्योहारी सीजन का कोई फर्क नहीं
गौरतलब है कि अक्टूबर त्योहारी महीना है और यह खरीफ फसल की बुवाई का भी महीना होता है. इस महीने में बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल भी रहा. लेकिन इन सबसे श्रमिकों की मांग में कोई खास सुधार नहीं हुआ.
CMIE के अनुसार अक्टूबर में श्रम भागीदारी दर 40.66 फीसदी थी, जो सितंबर महीने के बिल्कुल बराबर ही यानी इसमें कोई सुधार नहीं हुआ. एक साल पहले यानी अक्टूबर 2019 की बात करें तो यह 42.9 फीसदी था.
चिंताजनक आंकड़े
यह आंकड़ा इसलिए चिंताजनक है, क्योंकि लॉकडाउन से पहले श्रम भागीदारी दर कभी भी 42 फीसदी से नीचे नहीं गया. इसलिए अक्टूबर में श्रम भागीदारी दर उस स्तर की तुलना में काफी कम है जो फरवरी के पहले देखा गया था.