कार में वायरलेस सेट पर गूंजती पुलिस कंट्रोल रूम की आवाज़. चेहरे पर बंधा दिल्ली पुलिस के लोगो वाला मास्क. सड़क पर पूरी रफ्तार से भागती टैक्सी और आधे रास्ते में लिफाफे का ड्रामा. जहां ये तीनों एक साथ मिल जाए, समझिए कोई मासूम काम से गया. दिल्ली में लोगों को सरेराह लूटनेवाले लिफाफा गैंग के काम करने का कुछ यही ट्रेड मार्क स्टाइल है.
ये वो लुटेरे हैं, जिनसे लुटनेवाले इंसान को आख़िर तक इन लुटेरों पर एक बार भी शक नहीं होता और जब तक शक होता है, तब तक देर हो चुकी होती है. वो शख्स लुट चुका होता है. ऐसा ही वाक्या 16 नवंबर को पेश आया. जब दिल्ली के रहनेवाले राजेंद्र आरके पुरम से वसंतकुंज जाने के लिए अपने घर से निकलते हैं. रास्ते में वो किसी ऐसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इंतज़ार करते हैं, जो उन्हें उनके दफ्तर तक ड्रॉप कर दे.
लिफाफा गैंग के बदमाशों को बस ऐसे ही लोगों की तलाश रहती है. गैंग के बदमाश पहले से घात लगाकर राजेंद्र को टार्गेट करते हैं. उनकी टैक्सी राजेंद्र के सामने आकर रुकती है. वो राजेंद्र को ईशारे से गाड़ी में बैठने को कहते हैं. इधर, गाड़ी में पहले से ही दो लोग दिल्ली पुलिस का मास्क लगाए बैठे हैं, जिन्हें देख कर राजेंद्र को ये गुमान होता है कि वो पुलिसवाले हैं. राजेंद्र आराम से गाड़ी में बैठ जाता है.
इधर, राजेंद्र गाड़ी में बैठता है और उधर गाड़ी में पहले से बैठे तथाकथित पुलिसवालों के वायरलेस सेट में पुलिस कंट्रोल रूम की आवाज़ गूंजने लगती है. अभी कुछ दूर चलते ही टैक्सी ड्राइवर गाड़ी में बैठे तथाकथित पुलिसवालों से आगे चेकिंग होने की बात कहता है. पुलिसवाले भी अचानक से हरकत में आ जाते हैं और गाड़ी में बैठे राजेंद्र से चेकिंग से बचने के लिए उसका मोबाइल फ़ोन, पर्स, एटीएम कार्ड, रिंग, सिम कार्ड वगैरह एक लिफाफे में डालने को कहते हैं. उससे कहा जाता है कि जैसे ही वो नाके से आगे निकल जाएंगे, उन्हें उनका लिफाफा वापस मिल जाएगा.
चूंकि गाड़ी में बैठे लोग पुलिसवाले ही लग रहे हैं, राजेंद्र को उन पर बिल्कुल शक नहीं होता और वो अपनी सारी कीमती चीज़ें उनके लिफाफे में डाल देता है. अब वसंतकुंज आने ही वाला है. राजेंद्र उतरने की तैयारी करता है, तब तक पुलिसवाले उसे उसका लिफाफा थमा देते हैं. वो गाड़ी से उतर कर जैसे ही लिफ़ाफा चेक करता है, उसे अपने साथ हुए खेल का पता चल जाता है. ये क्या लिफाफे में उसकी कीमती चीज़ों की जगह रद्दी और कुछ पुरानी चीज़ें पड़ी हैं.
अब वो टैक्सी के पीछे भागता है. चीखता है. लेकिन टैक्सी हवा से बातें करती हुई आगे निकल जाती है. असल में ये लिफाफा गैंग की वो मॉडस ऑपरेंडी है. जिसके तहत गैंग के बदमाश पुलिसवालों के भेष में ना सिर्फ़ लोगों को ठगते हैं, बल्कि लोगों को ठगने के लिए अपने पास ठीक वैसे ही लिफाफे तैयार रखते हैं. जैसे लिफाफे में वो अपने शिकार की कीमती चीज़ें रखवाते हैं.
दिल्ली पुलिस ने अब ऐसे ही एक लिफाफा गैंग को धर दबोचा है, लेकिन उनकी मॉडस ऑपरेंडी खुद पुलिसवालों को भी हैरान कर रही है. पुलिस की मानें तो इस गैंग के बदमाश नकली पुलिसवाले बन कर लोगों से बीच सड़क पर ठगी करते थे. वो रास्ते में लोगों को लिफ्ट देकर फांसते थे. इसके लिए उन्होंने न सिर्फ़ दिल्ली पुलिस की लोगो वाला मास्क बनवाया था, बल्कि नकली वॉकी टॉकी में पुलिस कंट्रोल रूम की आवाज़ रिकॉर्ड कर ली थी, जो वो अपने शिकार को फांसते वक्त बजाया करते थे.
साउथ वेस्ट दिल्ली की पुलिस को अपने इलाके में एक ही तरीक़े से लूटपाट की ऐसी आठ वारदातों की खबर मिली थी, जिसके बाद पुलिस ने जाल बिछा कर लोगों के इस गैंग को धर दबोचा. इनके पास से पुलिस को क़रीब डेढ़ लाख रुपये कैश, कई गाड़ियां और लूटे गए एटीएम कार्ड मिले. ये गैंग जो सोना लूटता था, उन्हें मुत्थुट फाइनेंस में अपनी पत्नियों के नाम से खोले गए एकाउंट में डाल देता था.