किसान आंदोलन में सोलर एनर्जी से चलाया जा रहा टीवी

नई दिल्लीः केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बदस्तूर जारी है. वहीं सिंघु और यूपी बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान अपनी ट्रॉलियों में ज़्यादा से ज़्यादा सोलर पैनल का इस्तेमाल फोन चार्ज करने और टीवी देखने के लिए कर रहे हैं. ये किसान ट्रैक्टर-ट्राली में लगे टीवी पर टकटकी लगाए हुए कृषि मंत्री के बयान और किसान आंदोलन से जुड़ी सभी खबरों से अपडेट हो रहे हैं.

हवा में नहीं मारेंगे तीर

बता दें कि  यूपी गेट पर 23 दिनों से चक्का जाम करके सड़कों पर बैठे किसानों ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान कहा कि ” अगर हमें किसान आंदोलन से संबंधित खबरें ही पता नहीं होगी तो हम अगले दिन की तैयारी कैसे करेंगे ? हम हवा में तीर नहीं मारेंगे इसलिए ज़रूरी है कि हमारा निशाना हमारे सामने पाक साफ हो! “

किसानों ने ट्रॉली को बना लिया है घर जैसा

गौरतलब है कि ट्रॉली की छत पर सोलर सिस्टम लगाकर भारी बैटरी फिट की गई है और डिश की मदद से टीवी को सैटेलाइट नेटवर्क मिल रहा है. ट्रॉली के अंदर एलसीडी के अलावा स्पीकर भी लगे हैं. इन किसानों ने ट्रॉली को ही घर जैसा बना दिया है. किसानों का कहना है कि हम हर खबर को देख रहे हैं, और इस उम्मीद में बैठे रहते हैं कि कब हमारे पक्ष में फैसला आ जाए. किसानों के मुताबिक, हमें सभी चीजों की पूरी जानकारी है.दिसंबर के महीने में सर्द हवाओं से बचने के लिए किसानों ने अपनी ट्रॉलियों को तिरपाल से ढका हुआ है , ट्रॉली की ज़मीन पर खास और उसके ऊपर दरी या गद्दे बिछे हैं. धूप के लिए खिड़की भी ट्रॉली पर बनाई गई है. इतना ही नहीं इमरजेंसी के लिए ट्रॉली में इनवर्टर भी लगाया गया है.

किसानों को कैसे मिल रही बिजली की सुविधा ?

सिंघू बॉर्डर पर जगह जगह पर  मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट ट्रॉली में बनाए गए हैं और हजारों किसानो के मोबाइल निःशुल्क चार्ज भी किए जा रहे हैं. मंजू सिंह कहते हैं कि हमने ट्रैक्टर की बैटरी के साथ दूसरी बैटरी जोड़ी है और सुबह से शाम तक हजारों फोन चार्ज करते हैं.

आस-पास के लोग कर रहे पूरा सहयोग

62 साल के पंजाब से आए किसान सतपाल कौशिक ने एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान कहा कि “आसपास रहने वाले लोग भी हमारा सहयोग कर रहे हैं और हमें बिजली पानी फ्री में दे रहे हैं. सरकार ने इस जगह की लाइट और इंटरनेट बंद कर दिया है इसलिए हमें अपना सामान लेकर चलना पड़ रहा है.” वहीं हरियाणा के किसान राणा गुरमिंदर कहते है कि “हम सारे किसान पढ़े लिखे हैं, न्यूज देखते रहते हैं. अनपढ़ किसानों का टाइम खत्म हो गया है.”

बड़ी संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं किसान

गौरतलब है कि नए कृषि कानून के खिलाफ आज किसान आंदोलन का 24 वां दिन है. केंद्र सरकार और किसान संगठनो के बीच कई बार बातचीत भी हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है. वहीं नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए कड़कड़ाती हुई ठंड़ में भी बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की कई  सीमाओं पर डटे हुए हैं.