ज्योतिषशास्त्र में शनि की अहम भूमिका है. नवग्रहों में शनि को न्याय का प्रतीक माना गया है. ज्योतिष में शनि की स्थिति और दृष्टि बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है. किसी के भविष्य के बारे में जानने के लिए शनि का सही आकलन करना बहुत जरूरी है. शनि स्वभाव से क्रूर और अलगाववादी प्रवृत्ति वाला होता है. कुंडली में शनि अशुभ भाव में हो तो जातकों अशुभ फल मिलने लगते हैं. शनि मंदगति से चलते हैं इसलिए इसके परिणाम भी बहुत धीमी गति से मिलते हैं.
शनि की साढ़ेसाती
शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं.गोचर अनुसार शनि जिस राशि में स्थित होते हैं उसकी दूसरी और बारहवीं राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव माना जाता है. वहीं शनि जिन राशियों से चतुर्थ और अष्टम होते हैं उसे ढैय्या से प्रभाव वाली राशि माना जाता है. शुभ शनि अपने साढ़ेसाती और ढैय्या में जातक को बहुत लाभ प्रदान करते हैं वहीं अशुभ शनि साढ़ेसाती और ढैय्या में जातक को असहनीय कष्ट देते हैं.
शनि की ढैय्या
शनि के शुभ होने पर व्यक्ति सुखी और अशुभ होने पर सदैव चिंतित रहता है. ज्योतिष विशाल अरोड़ा से जानते हैं कि साल 2021 में किन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी और किन जातकों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव रहेगा. इसके अलावा जानेंगे किन उपायों से शनि के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है.
साढ़ेसाती से प्रभावित राशियां
2021 में शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित रहने वाली राशियां- 2021 में धनु, मकर और कुंभ राशि वाले जातक पूरे साल शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित रहेंगे.
शनि की ढैय्या से प्रभावित राशियां-
2021 में शनि की ढैय्या से प्रभावित राशियां- साल 2021 में मिथुन और तुला राशि वाले जातक शनि की ढैय्या से प्रभावित रहेंगे. इसका असर कैसा रहेगा ये आपकी कुंडली पर निर्भर करता है. कुंडली के अनुसार आपको शनि के शुभ और अशुभ परिणाम मिलेंगे.
शनि के अशुभ प्रभाव कम करने के उपाय
शनि के प्रभाव को कम करने के लिए प्रत्येक शनिवार छाया दान करें. यानी लोहे की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपना मुख देखकर उस तेल की कटोरी को शनि मंदिर में दान करें.
सात शनिवार को 7 बादाम शनि मंदिर में चढ़ाएं. शनिवार को लंगर या भण्डारे में कोयले का दान करें. प्रत्येक शनिवार सवा किलो काले चने, उड़द, काली मिर्च, लोहे की कील, काले वस्त्र में लपेटकर जल में प्रवाह करें.
प्रत्येक शनिवार चीटियों को शक्कर मिश्रित आटा डालें और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं. प्रतिदिन शनि के मंत्रों का जाप करें. इसके अलावा दशरथ शनि स्तोत्र का पाठ जरूर करें.
हर सोमवार और शनिवार काले तिल से मिश्रित जल से भोलेनाथ का अभिषेक करें. इससे कर्ज और शनि के प्रभाव कम होते हैं .
साढ़ेसाती और ढैय्या की अवधि में काले व नीले वस्त्र धारण ना करें. प्रत्येक पक्ष के प्रथम शनिवार काले अथवा नीले कंबल जरूरतमंदों को दान करें. शनि से डरें नहीं बल्कि अपने कर्म सही रखें.