फिर भी नहीं सुधर रहे जिम्मेदार दोहरा रहे वही गलती
19 जून 2018 को राजधानी के चारबाग में भीषण अग्निकांड हुआ था और इस अग्निकांड में 7 लोगों को जहां अपनी जान गंवानी पड़ी थी वही दर्जनों की संख्या में लोग झुलसे भी थे | बता दे कि ये अग्निकाण्ड चारबाग़ के होटल विराट और एसएसजे इंटरनेशनल मे हुआ था | इस मामले की जांच अपर पुलिस महानिदेशक और लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से संयुक्त रूप से कराई गयी थी | संयुक्त जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन अभियंताओ जिसमे जनार्दन सिंह, अब्दुल राऊफ (पालिका सेवा सेवानिवृत्त अभियन्ता), अनिल कुमार सिंह-द्वितीय, धनीराम, पी के वर्मा व पीएन पाण्डेय के खिलाफ कार्यवाही हुई थी |
लेकिन अब मुख्यमंत्री कार्यालय से फिर से इस मामले की फ़ाइल तलब की गई है | प्रमुख सचिव दीपक कुमार की ओर से आए पत्र में कार्रवाई पर प्रश्न चिह्न लगाया गया है। पत्र में कहा गया है कि जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई है वह या तो क्षेत्र में तैनात नहीं थे अथवा बहुत कम समय से तैनात थे। जब कि वर्ष 2010 व 2013 में अवैध निर्माण ढाहाने की नोटिस जारी होने के बाद भी न सिर्फ अवैध निर्माण जारी रहा बल्कि होटल भी संचालित होता रहा।
ऐसे में जिन अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई हुई है वह प्रथम दृष्टया दोषी नहीं हैं। लिहाजा अवैध निर्माण के जिम्मेदार तत्कालीन वास्तविक दोषी अभियन्ताओं व कार्मिकों की पहचान करते हुए उनके विरूद्ध आरोप-पत्र साक्ष्य सहित कार्रवाई का प्रस्ताव सप्ताहभर में उपलब्ध कराया जाय।
होटल विराट और एस एस जे इंटरनेशनल चारबाग़ की तंग गलियों मे बने थे और ज़ब 19 जून 2018 को इन होटलो मे आग लगी तो इन गलियों में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां तक नहीं पहुंच सकी और इस भीषण अग्निकांड में 7 लोग मारे गए और दर्ज़न भर गंभीर रूप से झुलस गए | कारण था लखनऊ विकास प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार जहां चंद रुपए रिश्वत में देखकर लखनऊ में कोई भी कहीं भी कैसे भी बिल्डिंग खड़ी कर सकता है चाहे वह तंग गलियों में होटल बनाना हो, अपार्टमेंट बनाना हो या फिर आवासीय भूखंडों में कमर्शियल काम्प्लेक्स खड़ा करना हो |
अभिषेक प्रकाश ने दिया अल्टीमेटम फिर भी पूरे लखनऊ मे लगातार अवैध निर्माण जारी है
चारबाग के इस जघन्य अग्निकांड की घटना के बाद भी लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी नहीं चेते है | बता दे कि लखनऊ के डीएम और एलडीए वीसी अभिषेक प्रकाश ने कुछ दिनों पहले ही पूरी तरीके से अवैध निर्माण को रोकने और चिन्हित करके कार्रवाई करने के आदेश दिए थे लेकिन इन निर्देशों का ज्यादा फर्क एलडीए के अधिकारियों पर नहीं पड़ा है |
इसका उदाहरण जोन 6 के वजीरगंज इलाके मे देखने को मिलता है जहां सिटी स्टेशन के पास ग्रीन हाल पब्लिक स्कूल से चंद कदमो की दूरी पर 6 फुट पतली गली मे अवैध रूप से अपार्टमेंट बनाया जा रहा है | बता दे कि इस सकरी गली में आवश्यकता पड़ने पर फायर ब्रिगेड की गाडी नहीं पहुंच सकती है और चारबाग जैसा हादसा हो सकता है लेकिन फिर भी धड़ल्ले से क्षेत्र के अवर अभियंता के संरक्षण में यह अवैध निर्माण फल फूल रहा है |
वही जोन 4 में अलीगंज के प्रियदर्शी योजना में सेंट जोसेफ स्कूल के बगल में आवासीय भूखंड पर कमर्शियल निर्माण जम कर हो रहा है | ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इस तरीके के हादसों के बाद भी क्यों प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारी नहीं चेतते और क्या इन्हें अब इस तरीके की जांचों से कोई फर्क ही नहीं पड़ता?