इस साल कोरोना के कारण एजुकेशन की फील्ड में इतने तरह के बदलाव आए और इतनी बातें कही गईं कि स्टूडेंट्स काफी हद तक कंफ्यूज रहे.
कभी कोई घोषणा हुई तो कभी कोई. ऐसे में समय-समय पर कुछ शरारती तत्व एक्टिव हो जाते हैं जो वर्तमान स्थिति और स्टूडेंट्स की स्थिति का गलत फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. हाल ही में ऐसा एक और वाकया सामने आया है.
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से सर्कुलेट हो रहा है जिसमें कहा गया है कि इस साल सीबीएसई क्लास दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में पास होने के लिए मिनिमम पासिंग मार्क्स का क्राइटेरिया कम कर दिया गया है.
पहले जहां स्टूडेंट्स को पास होने के लिए कम से कम 33 प्रतिशत अंक लाने अनिवार्य होते थे, वहीं इस झूठ खबर के अनुसार उसे अब 23 प्रतिशत कर दिया गया है जोकि सरासर गलत है. सीबीएसई या सरकार ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है और कुछ लोग केवल स्टूडेंट्स को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं.
बोर्ड ने नहीं जारी किया नोटिस –
इस खबर में कहा गया है कि बोर्ड ने नोटिस जारी करके रिवाइज्ड पासिंग मार्क्स के बारे में सूचना दी है. जबकि सच यह है कि बोर्ड ने ऐसा कोई नोटिस जारी नहीं किया है. यह इंफॉर्मेशन पूरी तरह फेक है, जिस पर स्टूडेंट्स को कतई विश्वास नहीं करना है. एजुकेशन मिनिस्टर ने भी इस बाबत कोई घोषणा नहीं की है.
इस फेक पोस्ट के साथ गंभीर समस्या यह है कि सीबीएसई के बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स के जुड़े होने से यह खबर तेजी से वायरल हो रही है. जैसे ही यह खबर वायरल हुई बड़ी तेजी से स्टूडेंट्स ने एजुकेशन मिनिस्ट्री और बोर्ड से संपर्क साधना शुरू कर दिया और इस बाबत जानकारी हासिल करने लगे. ऐसे में स्टूडेंट्स को सचेत किया जाता है कि वे ऐसी किसी भी गलत खबर के फेर में न पड़ें. पासिंग मार्क्स जो पहले थे वही अभी भी हैं.