लखनऊ। आल इण्डिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस उत्तर प्रदेश के लखनऊ चैप्टर-2 के तत्वावधान में मंगलवार को केन्द्रीय बजट को लेकर एक विचार गोष्ठी का आयोजन चेयरमैन अनीस अंसारी की अध्यक्षता में किया गया। संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व आईएएस आलोक रंजन ने सम्बोधित किया। संगोष्ठी का संयोजन एआईपीसी लखनऊ चैप्टर-2 की अध्यक्ष प्रज्ञा सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह मौजूद रहे। इस मौके मो. फहीमुद्दीन सेवानिवृत्त प्रोफेसर अर्थशास्त्र ने इस बात पर जोर दिया कि बजट में कृषि क्षेत्र के लिए बहुत कम रियायत है। सरकार ने संकटग्रस्त किसानों को सीधे नकद भुगतान देने के बजाय, ऋण की पेशकश की है, हालांकि ऋण का पुनर्भुगतान ना कर पाना ही किसान आत्महत्या का प्रमुख कारण है।
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद आलोक रंजन आईएएस सेवानिवृत्त ने इस बजट में डिसिंवेस्टमेंट से निजीकरण की ओर सरकार की रणनीति के बारे में बात की। रोडमैप जो कुछ संवेदनशील क्षेत्रों को छोड़कर सभी आर्थिक क्षेत्रों से सरकार को हटने की बात करता है, कई खतरों से भरा हुआ है, जिसमें सार्वजनिक उद्यमों के निजीकरण के मूल्यांकन के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप प्रमुख हैं।
इंटक के वाइस चेयरमैन अशोक सिंह ने निजीकरण के प्रभाव के बारे में बात की, जो कुछ धनी पूंजीपतियों को राष्ट्रीय संपदा के हस्तांतरण के सिवा कुछ और नहीं है। गिरी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के पूर्व निदेशक डॉ. एके सिंह ने भी कहा है कि निजीकरण के पिछले उदाहरणों की रोशनी में आगे आने वाले निजीकरण के बारे में अधिक विश्वास नहीं हो पा रहा है।