लखनऊ। शबनम को सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा मिलने के बाद राष्ट्रपति से दया याचिका भी खारिज हो गई है। अब उसकी फांसी लगभग तय ही है। कोई चमत्कार हो जाए तो वह अलग बात है। यह चमत्कार अब सिर्फ उसका बेटा ताज ही कर सकता है।
इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। सजायाफ्ता शबनम ने सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों के जरिए एक बार फिर राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है। गौरतलब है कि शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 14 अप्रैल साल 2008 में अपने परिवार के सात लोगों को मार डाला। इस मामले में शबनम और सलीम दोनों को फांसी की सजा मिली है।
शबनम, आजाद भारत में पहली बार फांसी की सजा पाने वाली महिला बन गई है। अमरोहा की रहने वाली शबनम को मथुरा जेल में फांसी की सजा दी जायेगी। दिलचश्प यह है कि शबनम का बेटा ताज मोहम्मद जेल में 13 दिसंबर 2008 को पैदा हुआ था। इसके बाद उसे परवरिश के लिए बाल शिशु गृह में दे दिया गया। जहां से ताज को शबनम के साथ पढ़ने वाले उसके एक सीनियर उस्मान सैफी ने गोद ले लिया। और वह उसकी पूरी परवरिश कर रहे हैं।