नई दिल्ली। किसान आन्दोलन के लिए टूलकिट और व्हाअ्सएप ग्रुप बनाने वाली 22 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत दे दी है। कोर्ट ने दिशा को एक लाख रुपये के निजी मुचलका जमा करने की शर्त पर जमानत दी। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से आगे पूछताछ के लिए दिशा की रिमांड बढ़ाने की अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
एक लाख का मुचलका, दो जमानती जमा करने का आदेश-
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि, सभी सबूतों को देखने के बाद आरोपी दिशा रवि को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया है।’ न्यायाधीश ने दिशा को एक लाख रुपये का मुचलका और इतनी ही रकम के दो जमानती जमा करने को कहा है। ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर शेयर करने के आरोप में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था। रवि और अन्य के खिलाफ पुलिस ने राजद्रोह सहित विभिन्न आरोपों में मुकदमा दर्ज किया है।
ज्यादातर लोग जमानत और मुचलका में अंतर नही समझ पाते हैं। आखिर सिक्योरिटी बॉन्ड और पर्सनल बॉन्ड में कितना और क्या अंतर होता है? यह एक दूसरे से कितना अलग हैं, आइये जानते हैं-
मुचलका और जमानत में अंतर-
अगर किसी भी व्यक्ति को सीधे-सीधे जेल न भेजकर उसे छोड़ा जाता है, तो उससे दो तरह के बॉन्ड भरवाए जाते हैं। एक सिक्योरिटी बॉन्ड और दूसरा पर्सनल बॉन्ड। आमतौर पर अदालत दोनों तरह के बॉन्ड जारी करने का आदेश देती है। कानूनी पहलू यह कहता है कि अदालत किसी को भी सिर्फ पर्सनल बॉन्ड पर छोड़ सकती है। सामान्य हिंदुस्तानी भाषा में सिक्योरिटी बॉन्ड को जमानत और पर्सनल बॉन्ड को मुचलका कहा जाता है।
क्या है बेल बाॅन्ड-
बेल बॉन्ड एक प्रकार का समझौता होता है। इसमें बेल यानी जमानत के लिए एक निश्चित राशि मजिस्ट्रेट अथवा अदालत को देनी पड़ती है। लेकिन, अगर व्यक्ति समझौते का पालन नहीं करता है, तो जो भी धनराशि जमा की जाती है, उसे जब्त कर लिया जाता है।
जानिए, पर्सनल बाॅन्ड के बारे में-
पर्सनल बॉन्ड में किसी भी तरह की राशि जमा नहीं की जाती है। लेकिन, अगर आप नियमों का उल्लंघन करते पाए जाते हैं तो आपको निर्धारित राशि देनी पड़ती है।