रस घोलिये, जहर नहीं, इसलिए बन रहा माहौल
नई दिल्ली। ज्यों-ज्यों बंगाल में चुनाव नजदीक आ रहे हैं, त्यों-त्यों राजनीतिक दलों के बीच रार भी बढ़ती जा रही है। कभी सीएम ममता बनर्जी, पीएम नरेन्द्र मोदी को ’दानव’ बोल देती हैं, तो कभी पीएम मोदी, सीएम ममता को बुआ बता डालते हैं। जुबानी जंग में बढ़ती कड़वाहट को अब बंगाल की मिठाई कम करने जुटी है।, जी हां, यह सच है। साथ ही, अगर आप कलाकन्द और रसमलाई जैसी मिठाई के शौकीन हैं, तो आप ‘जय श्री राम’ मिठाई का भी अब आनन्द लीजिए। यकीन नहीं आता तो यह खबर जरूर पढ़े।
कड़वाहट को मिटाने का प्रयास
बंगाल में सियासी कड़वाहट केवल मौखिक है, यह कहना भी सही नहीं होगा। पिछले कुछ वर्षों में चुनाव पूर्व विभिन्न पार्टी समर्थकों की हत्याओं के मामले भी प्रकाश में आये हैं। एक-दूसरे पर आरोप भी लगते रहे हैं। लेकिन, इस बार मिठाई खिलाकर कड़वाहट को थोड़ा कम करने या यूं कहें खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है क्योंकि सत्ता तो आने-जाने वाली चीज है। लेकिन, मानवता रहती चाहिए।
ममता और मोदी की मिठाई
इस सियासी कड़वाहट को मिठाई विक्रेताओं ने कम करने या यूं कहें कि दूर करने की अनूठी कोशिश की है। गौर करने वाली खास बात यह है कि यहां ममता व मोदी नाम की मिठाइयां कड़वाहट को दूर करने जुटी हैं। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में वर्ष 1885 से बालाराम मल्लिक और राधारमण मल्लिक ने मिठाई का कारोबार शुरू किया था। जिसे अब, सुदीप मल्लिक संभाल रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इनकी मिष्ठान कंपनी की ये खास मिठाइयां पूरे बंगाल में प्रसिद्ध हो रही हैं।
‘खेला होबे’ की मिठाई
सुदीप बताते हैं कि, ‘वर्तमान में सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है, इसको देखकर वे अपनी मिठाइयां बनाते हैं।’ इस वक्त बंगाल चुनाव से बड़ा कोई मुद्दा ही नहीं है। इसलिए, हम राजनीतिक पार्टियों को चुनाव चिन्हों वाली मिठाई और इस चुनाव में लोकप्रिय हुए ‘खेला होबे’ और ‘जय श्री राम’ नारे वाली संदेश (बंगाली मिठाई) बना रहे हैं। यह मिठाई लोगों को खूब पसंद आ रही है।
मोदी-ममता मिठाई से बना ‘माहौल’
सुदीप बताते हैं कि मौजूदा समय में वो प्रदेश की सत्तारूढ़ टीएमसी सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी और भाजपा के सबसे बड़े प्रचारक और पीएम नरेंद्र मोदी के चित्रों की नक्काशी वाली ‘दीदी संदेश’ और ‘मोदी संदेश’ मिठाइयां भी बन रही हैं। जिसकी चर्चाएं लोगों और पार्टी समर्थकों के बीच खूब हो रही है।