दुनिया में सिर्फ एक फीसदी ही पीने का पानी
नई दिल्ली। जल जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण संसाधन है। इसलिए जल की महत्ता को समझाने के लिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को जल के प्रति जागरूक और लोगों को जल उपलब्ध कराना है। आइये, जानते हैं कैसे हुई इस दिन की शुरुआत।
कहीं प्रदूषित तो कहीं बिलकुल नहीं जल
एक वक्त था, जब घर-घर में नल और जगह-जगह नदियां, तलाब, नहर और कुएं दिखाई देते थे। लेकिन, आज यह सब देखने को तो मिलेंगे, लेकिन उनमें पानी देखने को नहीं मिलेगा। इसका सबसे बड़ा कारण प्रदूषण और हमारी लापरवाही है। पानी के श्रोतों में दिन-पर-दिन पानी प्रदूषित होने की वजह से कम होता जा रहा है। कई तो बिल्कुल ही सूखाग्रस्त हो गए हैं।
1992 में शुरू हुआ था दिवस
दुनियाभर में लोगो को जल के प्रति जागरूक और पानी की कीमत समझाने के लिए आज ही के दिन हर साल विश्व जल दिवस मनाया जाता है। 1992 में रियो डि जेनेरियो में पर्यावरण तथा विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसके दौरान ही विश्व जल दिवस की पहल की गई थी।
विश्व युद्ध की भविष्यवाणी
दुनियाभर में जल को लेकर जितनी परेशानियां चल रही है , उनको देखते हुए 32 साल पहले ही यह भविष्यवाणी कर दी गयी थी कि एक दिन जल को लेकर विश्वयुद्ध होगा। यह भविष्यवाणी आज सच दिखाई पड़ रही है।
सिर्फ 1 फीसद पानी पीने योग्य
बता दें कि धरती पर लगभग तीन चैथाई हिस्सा पानी से भरा हुआ है। लेकिन इसमें सिर्फ तीन फीसद पानी पीने योग्य है। जिसमें से दो प्रतिशत पानी बर्फ और ग्लेशियर के रूप में है। केवल 1 प्रतिशत पानी बचा है, जिसका हम उपयोग करते हैं।
गिर रहा जलस्तर, प्रदूषित हो रहा पानी
विकास के नाम पर लगातार हो रहा प्रकृति का नुकसान प्रदूषण की बड़ी वजह है। पेड़ काटे जा रहे है, लेकिन नए पौधे नही लगाए जाते। सड़क पर अंधाधुंध दौड़ती गाड़ियां और फैक्टरियों से निकलता धुंआ इसका सबसे बड़ा कारण है। कारखानों से निकलता मल सीधा नदियों में बहा दिया जाता है, जिसके कारण जल ज्यादा प्रदूषित हो रहा है। लगातार जल स्तर नीचे होता जा रहा है यदि आज ध्यान नही दिया तो कल सबका विनाश निश्चित है।
विश्व जल दिवस 2021 की थीम
हर साल जल दिवस पर एक थीम निर्धारित की जाती है। इस साल की थीम, ‘वेल्युइंग वॉटर’ है, जिसका लक्ष्य लोगों को जल का महत्व समझाना है। इस दिन कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लोगों को क्रियाकलापों के तहत जल की आवश्यकता को समझाने का प्रयास किया जाता है।