28 जून से 22 अगस्त तक खुलेंगे बाबा अमरनाथ के कपाट, भक्त कर सकेंगे दर्शन।
आठ सप्ताह तक चलेगी अमरनाथ यात्रा
इस साल अमरनाथ यात्रा की तारीख घोषित हो गई है। 28 जून से 22 अगस्त तक भक्त बाबा अमरनाथ के दर्शन कर सकेंगे। अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड की मीटिंग में यात्रा की तारीख तय की गई है। इस बार ये यात्रा 56 दिन तक चलेगी। 22 अगस्त को रक्षाबंधन पर इस साल की यात्रा खत्म हो जाएगी।
हजारों साल पुराना है गुफा का इतिहास
अमरनाथ गुफा का इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है। यहां बर्फ की टपकती बूंदों से 10-12 फीट ऊंचा शिवलिंग हर साल बनता है। अमरनाथ शिवलिंग की ऊंचाई चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ घटती-बढ़ती रहती है। पूर्णिमा पर शिवलिंग अपने पूरे आकार में होता है, जबकि अमावस्या पर शिवलिंग का आकार कुछ छोटा हो जाता है।
ऐसी है बाबा अमरनाथ की गुफा
श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर अमरनाथ गुफा स्थित है। यह गुफा लगभग 150 फीट ऊंची और लगभग 90 फीट लंबी है। ये गुफा करीब 4000 मीटर की ऊंचाई पर है। गुफा में शिवलिंग पूरी तरह प्राकृतिक रूप से निश्चित समय के लिए ही बनता है। यहां श्रीगणेश, पार्वती और भैरव के हिमखंड भी बन जाते हैं।
गुफा से जुड़ी धार्मिक मान्यता
अमरनाथ गुफा से जुड़ी धार्मिक मान्यता ये है कि इसी जगह पर शिवजी ने देवी पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। उस समय देवी पार्वती तो सो गई थीं, लेकिन एक कबूतर ने छिपकर शिवजी से अमरत्व का रहस्य सुन लिया था। इसके बाद वह कबूतर अमर हो गया।
कैसे पहुंच सकते हैं अमरनाथबाबा अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक पहलगाम से और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से है। देश के किसी भी क्षेत्र से पहले पहलगाम या बालटाल पहुंचना होता है। इसके बाद की यात्रा पैदल होती है। पहलगाम से अमरनाथ जाने का रास्ता सुविधाजनक समझा जाता है। इसकी दूरी 48 किमी है। बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी 14 किलोमीटर है, लेकिन ये मार्ग मुश्किलों से भरा है। इसी वजह से अधिकतर यात्री पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाते हैं।