सामाजिक नहीं शारीरिक दूरी बहुत ज़रूरी : वेबीनार में योग-प्राणायाम पर चर्चा, संतुलित आहार पर ज़ोर

कोरोना काल में अवसाद से बचाव के बारे में दी जानकारी

नई दिल्ली। एबी फाउंडेशन द्वारा आयोजित “कोविड संक्रमण के आक्रमण के दौरान और उससे उबरने के बाद उत्पन्न अवसाद से कैसे बचें” विषयक वेबीनार में देश के सुयोग्य एवं प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अपने अमूल्य सुझाव दिए।

बचाव का नारा ही ग़लत

विशेषज्ञों ने कहा कि, इस घातक महामारी से बचने के लिए देश में जो “सामाजिक दूरी है जरूरी” का नारा दिया गया, वह गलत और भ्रम पैदा करने वाला है। दरअसल इसकी बजाय होना चाहिए “शारीरिक दूरी है जरूरी”। इन जाने माने डाक्टर्स और मनोचिकित्सकों का मानना है कि, सामाजिक निकटता होनी चाहिए एक दूसरे के साथ।

यह करें, यह ना करें

जहां तक अवसाद से बचने का सवाल है तो सभी वक्ताओं ने आम राय से संक्रमण के दौरान सकारात्मक बने रहने, संतुलित और समय पर आहार, स्टेरॉयड का कम से कम प्रयोग और योग-प्राणायाम पर जोर दिया।

डॉ. घोष बोले, रहें सक्रिय

अमेरिका में धाक जमाने के बाद गत दो वर्षों से कोलकाता में मनोचिकित्सक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे डाक्टर रंजन घोष ने पांच महत्वपूर्ण बिंदुओं को अपनी जीवन शैली में शामिल करने पर बल दिया। जिसमें योग, प्राणायाम के अलावा अपने आप को हमेशा सक्रिय रखना तथा लोगों से सामाजिक रुप से जुड़े रहना महत्वपूर्ण है।

भारत में मानसिक रोगों को किया गया नेगलेक्ट

वेबीनार के दूसरे वक्ता के रूप में मैक्स हास्पिटल को अपनी सेवाएं दे रहे जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आनंद पांडे ने बताया कि भारत आत्महत्या के मामले में विश्व में नंबर वन है। यहाँ मानसिक रोगों को काफी नेगलेक्ट किया गया है। इस पर जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि उन्हें सामाजिक दूरी न अपनाकर फिजिकल दूरी अपनानी है। उन्होंने यह भी बताया कि, जो भी लोग किसी न किसी माध्यम से अपने आप को मानसिक रूप से पॉजिटिव रखने में सफल रहे हैं, उन पर कोरना का प्रभाव अन्य रोगियों की तुलना में काफी कम है।

नकारा नहीं जा सकता मानसिक अवसाद

वेबीनार के तीसरे वक्ता दिल्ली के तिहाड़ जेल में बतौर मनोचिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे डॉक्टर विवेक दवे ने अपने संबोधन में कहा कि, कोरोना के बाद मानसिक अवसाद को आप नकार नहीं कर सकते। लेकिन इससे डरना भी नहीं है बल्कि उसका डट कर मुकाबला करना है। उन्होंने लोगों से अपील की की वे शराब, सिगरेट एवं अन्य सभी नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रह कर एक व्यवस्थित जीवन शैली अपनाएं ।

न्यूरोलॉजिस्ट बोले, मृत्यु दर एक प्रतिशत से कम

कार्यक्रम के अंतिम वक्ता के रूप में कोलकाता के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सुधीर कुमार ने बताया कि, कोरोना के कारण जहां मृत्यु दर एक परसेंट से कम है वही लोगों के अंदर मानसिक अवसाद शत प्रतिशत है। इसे बहुत ही अच्छे ढंग से मैनेज करने की आवश्यकता है।

कैसे मिले ब्लैक फंगस से निदान

कार्यक्रम में संस्था के मार्गदर्शक एवं वरिष्ठ पत्रकार नेशन टुडे के एडिटर इन चीफ पदम पति शर्मा ने ब्लैक फंगस तथा लोगों के स्वास्थ्य के संदर्भ में जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को अपने प्रश्नों के माध्यम से चिकित्सा विशेषज्ञों के सामने रखा और जानना चाहा कि उनका कैसे निदान हो। संस्था के ट्रस्टी दिल्ली के चार्टर्ड अकाउंटेंट चंद्रकांत मिश्रा ने एबी फाउंडेशन की ओर से किए गए कार्यकलापों के अलावा वेबीनार के पिछले आयोजनों तथा आने वाले समय में होने वाले कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के मॉडरेटर आईआईटी कानपुर के रवि पांडे ने हमेशा की तरह अपने दायित्व को जिम्मेदारी के साथ बखूबी निभाया।

कई मिलियन आबादी होती महामारी का शिकार

अंत में कोलकाता के एडवोकेट श्री आनंद कुमार सिंह ने एबी फाउंडेशन की तरफ से अपने धन्यवाद ज्ञापन में सभी वक्ताओं तथा श्रोताओं का दिल से शुक्रिया अदा करने के साथ ही उनके लंबे समय तक स्वस्थ बने रहने की कामना की। साथ ही साथ उन्होंने यह भी बताया कि, पिछले 12000 वर्षों के दौरान लगभग 300 से 500 मिलियन आबादी किसी न किसी महामारी का शिकार होती रही है। उनमें मानसिक अवसाद , डिप्रेशन तथा आत्महत्या जैसी समस्या उत्पन्न होती है जिसे सही समय पर चिकित्सा विशेषज्ञों की मदद से नियंत्रित करने की आवश्यकता है। जिससे उनके जीवन को बचाया जा सके। उन्होंने अपील की कि हर कोई अपने लोगों का ख्याल रखे तथा उन्हें मानसिक पीड़ा से उबरने में मदद करें ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *