कोरोना की उत्पत्ति की पारदर्शी जाँच की भी माँग कर सकते कई देश
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 12 और 13 जून को जी-7 शिखर सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से भाग लेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने नई दिल्ली में मीडिया को शिखर सम्मेलन की जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में ब्रिटेन जी-7 समूह की अध्यक्षता कर रहा है।
बतौर अतिथि शामिल होगा भारत
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने जी-7 की विस्तृत बैठक में भारत को अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं को भी अतिथि के तौर पर विस्तृत बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
मोदी बैठक में पहले भी ले चुके हिस्सा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी जी-7 की विस्तृत बैठक में दूसरी बार शामिल हो रहे हैं। इससे पहले वर्ष 2019 में उन्हें फ्रांस की ओर से बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रण मिला था।
तो इसलिए वर्चुअल हिस्सा लेंगे पीएम…
अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और कनाडा के भागीदारी वाले जी-7 गुट की बैठक में भाग लेने के लिए विश्व नेता लंदन पहुंच रहे हैं। पहले प्रधानमंत्री मोदी को भी इस बैठक में भाग लेने के लिए वहां जाना था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण प्रधानमंत्री ने अपना ब्रिटेन दौरा रद्द कर दिया था।
बैठक में इन मुद्दों पर होगी चर्चा
ब्रिटेन ने जी-7 के अध्यक्ष के रूप में चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की है। इनमें – कोरोना वायरस से निपटने के वैश्विक प्रयासों की अगुवाई करना तथा भविष्य में ऐसी महामारियों से निपटने के लिए सुदृढ़ ढांचा विकसित करना, समृद्ध भविष्य के लिए मुक्त व्यापार को बढावा देना, जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीके ढूंढने के साथ पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित रखना तथा एक खुले समाज में साझा मूल्यों को संजोना शामिल है।
बैठक में विशेष रूप से वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी से निपटने के बारे में परस्पर विचार-विमर्श करना तथा स्वास्थ्य सेवा और जलवायु परिवर्तन पर विशेष ध्यान देना शामिल है।
कोरोना वायरस उत्पत्ति की पारदर्शी जांच कराए डब्ल्यूएचओ
वहीं, ब्रिटेन में जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे नेता मांग करेंगे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में नए सिरे से पारदर्शी जांच करवानी चाहिए। शिखर बैठक की विज्ञप्ति के मसौदे में यह भी कहा गया है कि जी-7 के सदस्य देश दुनियाभर के देशों को कोरोना वायरस से बचाव की एक अरब डोज उपलब्ध कराएंगे।