नई दिल्ली। मुंबई स्थित परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड एटोमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड, एईआरबी से अनापत्ति प्रमाण पत्र एनओसी प्राप्त करने के बाद तिहाड़ जेल परिसर में बाडी स्कैनर मशीन लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रायोगिक तौर पर अभी तिहाड़ परिसर की दो जेलों में एक- एक मशीन लगाने की मंजूरी मिली है। दोनों मशीनों के लगाए जाने के बाद प्राप्त नतीजों की समीक्षा की जाएगी। यदि परिणाम अपेक्षा के अनुरूप रहा, तो दिल्ली की सभी 16 जेलों में एक- एक बाडी स्कैनर मशीन लगाने का रास्ता साफ हो जाएगा। मशीनकी खरीद की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। जेल प्रशासन की ओर से टेंडर जारी किया जा चुका है।
स्कैनर की स्क्रीन में नजर आ जाएगा अवांछित पदार्थ
अभी जेलों में कैदियों से मोबाइल, मादक पदार्थ बरामदगी के मामले सामने आते रहते हैं। कई चरणों की तलाशी के बाद भी कैदी सुरक्षाकर्मियों को चकमा देते हुए इसे अंदर लेकर पहुंच ही जाते हैं। जेल प्रशासन का कहना है कि कैदी इसे अपने शरीर में छिपा लेते हैं, लेकिन बाडी स्कैनर लगने के बाद शरीर में यदि कहीं भी कोई अवांछित पदार्थ होगा, तो वह स्कैनर की स्क्रीन में नजर आ जाएगा। इस मशीन से जो भी गुजरेगा उसके शरीर पर तरंगें डाली जाएंगी। इन तरंगों की मदद से पूरे शरीर की डिजिटल छवि तैयार होती है, जो मशीन में लगे स्क्रीन में सुरक्षाकर्मी देख सकेंगे। यह मशीन कपड़ों के नीचे या जूतों में और शरीर छिपी संदिग्ध धातु और गैर-धातु की वस्तुओं का पता लगाने के लिए विकिरण का उपयोग करती है।
सरकार से भी मिली जेलों में लगने वाले बॉडी स्कैन को मंजूरी
दिल्ली की जेलों में बाडी स्कैनर लगाने की जरूरत करीब एक दशक से महसूस की जा रही है। कई बार इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भी भेजा गया, लेकिन कभी बजट तो कभी अन्य अड़चनें इसमें सामने आती रहीं। एक बार तो जेल प्रशासन की ओर से दिल्ली की सभी जेल परिसरों में ऐसे मशीन लगाने की योजना तैयार कर ली गई थी, लेकिन सूत्रों की मानें तो तब कुछ कैदियों ने ही इस योजना की सुगबुगाहट के बाद इसे लेकर विरोध करना शुरू कर दिया। अब तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए एईआरबी से एनओसी मिल चुकी है, सरकार से भी मंजूरी मिल चुकी है।
दिल्ली के दो जेलों में लगेगें एक्सरे बॉडी स्कैनर
परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित उपयोग से संबंधित पहलुओं पर निगरानी रखता है। परमाणु व विकिरण सुविधाओं की स्थापना के लिए समीक्षा व मूल्यांकन के बाद स्थल चयन, निर्माण में इसकी स्वीकृति आवश्यक है। शुरुआत में प्रायोगिक तौर पर दिल्ली की दो जेलों में एक्सरे बाडी स्कैनर लगाए जाने हैं। यदि इसके नतीजे उम्मीद के मुताबिक रहे, तो अन्य जेलों के लिए भी ऐसी मशीन खरीदे जाएंगे।