पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री है चरणजीत सिंह चन्नी
नई दिल्ली। बीते शनिवार को पंजाब राज्य में कई दिनों से चल रहे हंगामे के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद रविवार को चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब के नए मुख्यमंत्री के बनाने की घोषणा हुई। जिसके साथ पंजाब के चुनावी इतिहास में पंजाब को उनका पहला दलित मुख्यमंत्री मिला। बता दें कि यह घोषणा खुद नए मुख्यमंत्री चन्नी ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मुलाकात के बाद की। राज्यपाल से मिलने के बाद चन्नी ने कहा था, ‘कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने शनिवार को सर्वसम्मति से जो निर्णय लिया है, उसके तहत मैंने राज्यपाल महोदय के पास सरकार बनाने का दावा पेश किया है। कल दिन के 11 बजे शपथ ग्रहण होगा।’
11 बजे ली शपथ
मुख्यमंत्री पद को भरने के लिए सोमवार सुबह 11 बजे चरणजीत सिंह चन्नी ने शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मौजूद नहीं थे। हालांकि उन्होंने रविवार को ही चन्नी को पंजाब के नए मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दे दी थी। समारोह में चन्नी के साथ सोमवार को राजभवन में चन्नी के साथ ही मंत्री के तौर पर कांग्रेस नेता ओपी सोनी और सुखजिंदर रंधावा ने भी शपथ ली। सोनी और रंधावा को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। समारोह में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी की आपस में बनती है और दोनों ही नेता अमरिंदर सिंह के विरोधी भी है।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद बढ़ती कलह
कांग्रेस पार्टी की बैठक में सर्वसम्मति से चन्नी को मुख्यमंत्री पद पर बिठाने का दांव खेलते हुए भले ही कांग्रेस पार्टी अपने इस फैसले को मास्टर स्ट्रोक समझ रही हो। लेकिन शपथ ग्रहण समारोह के बाद पार्टी के अंदर की कलह गहराती नज़र आई। दरअसल शपथ ग्रहण समारोह के बाद पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत के बयान पर पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने आपत्ति जताई। हरीश रावत ने रविवार को नये मुख्यमंत्री की घोषणा के बीच ही कह दिया था कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। जिस पर आपत्ति जताते हुए नाख़ुश नज़र आए सुनील जाखड़ ने ट्वीट कर कहा कि- “मुख्यमंत्री के रूप में श्री चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण दिवस पर श्री रावत का यह कथन कि ‘चुनाव सिद्धू के नेतृत्व में लड़े जाएंगे’, चौंकाने वाला है। इससे मुख्यमंत्री के अधिकार कमजोर होने की संभावना है, और इससे उनके चयन का उद्देश्य भी खारिज हो जाता है।”