नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में जंतर-मंतर पर धरने की याचिका के मामले पर किसानों के सड़कों पर सार्वजनिक आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आपको विरोध करने का अधिकार है लेकिन आप दूसरों की संपत्ति को नष्ट नहीं कर सकते हैं।कृषि कानूनों के खिलाफ जंतर-मंतर पर ‘सत्याग्रह’ की इजाजत मांग रहे राजस्थान के एक किसान संगठन पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणियां की हैं।
शांतिपूर्वक आंदोलन के नाम पर सड़क जाम करते हैं किसान
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसानों ने पहले ही पूरी दिल्ली का गला घोट रखा है। कोर्ट का कहना है कि किसान बॉर्डर- हाईवे को जाम करते हैं , ट्रेनें रोक देते हैं और अब वह चाहते हैं कि वह शहर के अंदर भी घुस आएं और आम जनता का कारोबार ठप करदें। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी देते हुए कहा है कि किसान शांतिपूर्ण आंदोलन के नाम पर सड़कें जाम कर देते हैं। यहां तक कि सुरक्षाकर्मियों को भी उनका काम करने से रोकते हैं।
रोड पुलिस ने ब्लॉक की है: टिकैत
कोर्ट में किसान महापंचायत की तरफ से जो दलील दी गई, कुछ वैसी ही बात गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत ने कही। उन्होंने कहा कि हाईवे प्रदर्शनकारियों ने नहीं बल्कि पुलिस ने ब्लॉक कर रखा है। सिंघू बॉर्डर पर भी अंदर तक गाड़ियां चल रही हैं, बैरिकेड हटा दें तो गाड़ियां आगे निकल जाएंगी। टिकैत ने कहा कि परेशानी तो उन्हें भी हैं और किसान चाहते हैं कि सरकार उनसे बात करे और समाधान करे।