उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जहां स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नाम की लाइलाज बीमारी ने जिले के एक मासूम को अपनी चपेट में ले लिया है। 9 महीने का मासूम सुंभदेव इन दिनों घातक बीमारी (SMA) स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से जूझ रहा है। शंभु को दिल्ली के AIMS अस्पताल के डॉक्टरों ने ना सिर्फ स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी की पुष्टि की है बल्कि इलाज के लिए 17 करोड़ 50 लाख रूपए का खर्च बताया है। जिसके बाद मासूम शंभु के परिजन परेशानी में आ गए हैं। डॉक्टरों ने SMA बीमारी के लिए साढ़े 17 करोड़ का जोलगेन्समा इंजेक्शन लगाने की सलाह दी है, जिसे अमेरिका से आर्डर पर मंगवाया जाएगा।
खास बात यह है कि जिंदगी और मौत से जूझ रहे मासूम शंभु के माता पिता के लिए इतना महंगा इंजेक्शन मंगवाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। यही वजह है कि बेटे की जिंदगी के लिए बेबस माता-पिता ने जहां सरकार से मदद की गुहार लगाईं है, वहीं देशवासियों से इलाज के लिए चंदा इकट्ठा करने की अपील कर रहे हैं। हालांकि मासूम शंभु के इलाज के लिए एक संस्था द्वारा चंदा इकट्ठा करने की मुहीम चलाई हुई है। चौकाने वाली बात ये है कि इस इंजेक्शन की अंतर्राष्ट्रीय कीमत साढ़े 23 करोड़ रूपए बताई जा रही है, जिसे भारत सरकार द्वारा टेक्स फ्री करने के बाद साढ़े 17 करोड़ रूपए है।
आपको बता दें कि जनपद सहारनपुर के गांव खजूरवाला निवासी अमित शर्मा किसानी का काम करता है। अमित शर्मा का एक 9 महीने का बेटा है जो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी की चपेट में आ गया। अमित बताते हैं जब वह चार महीने का था तब उसके हाथों और पैरों में मूवमेंट नहीं हो रहा था, जबकि हाथ-पांव देखने में तंदुरुस्त दिख रहे थे। उन्होंने मासूम शंभु को बिठाने की कोशिश की लेकिन वह बैठ भी नहीं पा रहा था, जिसके चलते उन्होंने मासूम शंभु को स्थानीय डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने मासूम को देहरादून के जौलीग्रांट के लिए रेफर कर दिया। जौलीग्रांट के डॉक्टरों ने सभी जांच रिपोर्ट आने के बाद स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी होना बताया। डॉक्टरों ने पुष्टि के लिए दिल्ली एम्स हॉस्पिटल भेज दिया जहां डॉक्टरों की टीम ने मासूम शंभु देव की सभी जांच की। जांच रिपोर्ट में शंभु को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी TYPE 1 बिमारी की पुष्टि की है, जिसके बारे में सुनकर मासूम शंभु के माता-पिता और परिजनों की चिंता बढ़ गई है।