लखनऊ, 6 मार्च। आशियाना परिवार लखनऊ द्वारा “एक त्योहार-एक तिथि” विषय पर लखनऊ प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों, धर्माचार्यों, विद्वानों और समाजसेवियों ने सनातन धर्म के त्योहारों की तिथियों में जानबूझकर उत्पन्न किए जा रहे भ्रम पर चिंता व्यक्त की और इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए समाज में जागरूकता लाने की अपील की।
सनातन समाज के लिए आवश्यक है “एक पर्व, एक तिथि” अभियान
कार्यक्रम की अध्यक्षता भाग्योदय फाउंडेशन लखनऊ/नई दिल्ली के संस्थापक एवं अध्यक्ष पं. राम महेश मिश्र ने की। इस अवसर पर आशियाना परिवार के अध्यक्ष एवं मुख्य संयोजक आर. डी. द्विवेदी ने कहा कि आज कोई भी सनातनी त्योहार हो, उसे अलग-अलग तिथियों में बांटकर समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर दी जाती है। इससे हिन्दू समाज बंटता जा रहा है और अपनी सांस्कृतिक एकता खोता जा रहा है। उन्होंने कहा कि त्योहारों की एकरूपता बनाए रखने के लिए “एक त्योहार-एक तिथि” अभियान को संपूर्ण समाज में प्रचारित किया जाना चाहिए।
विद्वानों ने जताई चिंता, एकरूपता की आवश्यकता पर दिया जोर
संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित विद्वानों और धर्माचार्यों ने इस बात पर चिंता जताई कि पिछले डेढ़ दशक से लगभग सभी बड़े त्योहारों की तिथियों को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। चाहे होली, दीपावली, हरतालिका तीज, करवा चौथ या एकादशी व्रत हो, हर त्योहार की अलग-अलग तिथियाँ बताकर सनातन समाज को भ्रमित किया जाता है। इससे एकजुट होकर त्योहार मनाने की परंपरा बाधित हो रही है और समाज में मतभेद बढ़ रहे हैं।
धर्माचार्यों और सामाजिक संगठनों ने किया समर्थन
आशियाना परिवार की इस पहल को हनुमत आश्रम के पीठाधीश्वर एवं ज्योतिषाचार्य डॉ. विवेक तांगड़ी, चिन्मय मिशन लखनऊ चैप्टर के प्रमुख आचार्य कौशिक चैतन्य, ज्योतिषाचार्य पं. राधेश्याम शास्त्री, वरिष्ठ समाज समीक्षक सुशील दुबे, पूर्व आयकर आयुक्त एस. के. मित्र, ब्राह्मण समाज प्रमुख शिव शंकर अवस्थी, चौक होली आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं पार्षद अनुराग मिश्र समेत कई गणमान्य व्यक्तियों का समर्थन मिला।
सनातन धर्म की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान
सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि सनातन धर्म के त्योहारों को एक ही तिथि पर मनाने की परंपरा को सुदृढ़ किया जाना चाहिए। साथ ही, समाज में व्याप्त इस कृत्रिम भेदभाव का प्रबल विरोध किया जाना चाहिए ताकि सनातन संस्कृति और परंपराओं की अखंडता बनी रहे।
आशियाना परिवार की इस पहल को व्यापक समर्थन मिल रहा है और इसे जन-जन तक पहुँचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया।