- डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने दिए कार्रवाई के निर्देश
- एनपीए लेने के बावजूद कर रहे थे प्राइवेट प्रैक्टिस
लखनऊ, 18 मार्च 2025
प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर सख्ती शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 17 ऐसे डॉक्टरों की पहचान की है, जो नॉन-प्रैक्टिसिंग एलाउंस (एनपीए) लेने के बावजूद निजी रूप से मरीजों को देख रहे थे। इस पर उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कड़ी नाराजगी जताते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा को त्वरित विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि उन्हें सरकार की ओर से एनपीए दिया जाता है। इसके बावजूद कुछ डॉक्टर निजी अस्पतालों और क्लीनिक में मरीजों का इलाज कर रहे थे। इसकी जानकारी मिलते ही डिप्टी सीएम ने इस पर सख्त रुख अपनाया। जांच में बलरामपुर, हाथरस और कुशीनगर जिले के 17 डॉक्टर दोषी पाए गए हैं, जिनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इन डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई
- बलरामपुर: मोमोरियल जिला अस्पताल के डॉ. हीरा लाल, डॉ. रमेश कुमार पांडेय, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार सिंह, डॉ. पंकज वर्मा, डॉ. उमेश कुशवाहा, संयुक्त जिला चिकित्साधिकारी डॉ. नितिन चौधरी, एमआईके जिला महिला चिकित्सालय के डॉ. पीके मिश्रा, डॉ. महेश कुमार वर्मा, डॉ. नगमा खान, और कौव्वापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. जय सिंह गौतम।
- हाथरस: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मुरसान की डॉ. रिचा कालरा, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, चंदपा के डॉ. सुनील कुमार वर्मा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, कुरसंडा की डॉ. मीनाक्षी मोहन, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, महौ के डॉ. बृज नारायण अवस्थी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिकंदराराऊ के डॉ. मृदुल जाजू और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सादाबाद के प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दानवीर सिंह।
- कुशीनगर: अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसएन त्रिपाठी।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने साफ किया कि सरकारी सेवा में रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करना नियमों का उल्लंघन है और सरकार इस पर कड़ी कार्रवाई करेगी।