रामनगर। लोधेश्वर महादेवा में काशी की तर्ज पर प्रस्तावित कॉरिडोर निर्माण कार्य शुरू न होने से स्थानीय भक्तों और श्रद्धालुओं में निराशा बढ़ रही है। यह परियोजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में शामिल होने के बावजूद, अफसरों की उदासीनता के कारण अब तक ठप पड़ी हुई है।
महादेवा कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पिछले एक साल से चल रही है। सरकार द्वारा 84 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे, जिनमें से 156 मकानों और जमीनों की रजिस्ट्री हो चुकी है और मुआवजा भी वितरित किया जा चुका है। इसके अलावा, 22 मकानों और जमीनों के अधिग्रहण की फाइल राज्यपाल के पास भेजी जा चुकी है, लेकिन पर्यटन विभाग अब तक ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं कर सका है।
अब तक केवल दो-चार मकानों को गिराया गया है, लेकिन उनका मलबा तक नहीं हटाया गया। मंदिर के सामने की सड़क भी अभी तक चौड़ी नहीं हो सकी है, जहां एक दर्जन से अधिक मकानों को हटाया जाना है। लोक निर्माण विभाग इस कार्य में लगा हुआ है, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है।
सड़क निर्माण कार्य भी अधूरा
पुलिस चौकी से लोधौरा चौराहा तक सड़क चौड़ीकरण और इंटरलॉकिंग का काम पूरा हो चुका है, जबकि नाला निर्माण अंतिम चरण में है। लेकिन केसरीपुर तक चौड़ी गई सड़क की पटरी का काम रुका हुआ है, और दोनों ओर इंटरलॉकिंग नहीं लग सकी है।
स्थानीय लोग इस देरी को लेकर चिंतित हैं और उनका कहना है कि कॉरिडोर निर्माण में लंबा समय लगेगा, इसलिए कार्य जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिए। शुरुआती उत्साह के बाद अब क्षेत्रवासी हतोत्साहित होने लगे हैं। स्थानीय दुकानदारों और ग्रामीणों का मानना है कि यदि सरकार इस परियोजना को लेकर गंभीर होती, तो अब तक अधिकांश कार्य पूरे हो चुके होते।
शुरुआती दिनों में जिला प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों ने काफी सक्रियता दिखाई थी, लेकिन अब वे निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। इस मामले पर अयोध्या के क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि परियोजना को अभी तक अंतिम स्वीकृति नहीं मिली है। मकानों को गिराने और मलबा हटाने के लिए भी धन की आवश्यकता है। जैसे ही धन स्वीकृत होगा, कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
भक्तों और स्थानीय निवासियों को अब सरकार से जल्द ठोस कार्रवाई की उम्मीद है।