गुजरात में एयर इंडिया की भयावह विमान दुर्घटना: 787 ड्रीमलाइनर टेकऑफ के तुरंत बाद गिरा, 242 लोगों की मौत की आशंका

12 जून 2025 को भारत ने एक और दिल दहला देने वाली विमान दुर्घटना देखी, जब अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरते ही एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान (फ्लाइट AI-171) टेकऑफ के लगभग पांच मिनट बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह हादसा शहर के मेघानीनगर इलाके में स्थित डॉक्टरों के एक हॉस्टल की इमारत पर विमान के गिरने से हुआ, जहां आग का भयंकर गोला बन गया और चारों ओर चीख-पुकार मच गई।

विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें 230 यात्री और 12 क्रू सदस्य शामिल थे। यात्रियों में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक शामिल थे। उड़ान के कुछ ही मिनट बाद पायलट की ओर से ‘मेडे कॉल’ यानी आपात स्थिति का सिग्नल दिया गया। इसके बाद विमान का संपर्क रडार से टूट गया। अंतिम बार यह 625 फीट की ऊंचाई पर दिखा और फिर अचानक नीचे आ गिरा।

दुर्घटना स्थल की भयावहता को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी के बचने की संभावना बेहद क्षीण है। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक 30 से अधिक शव बरामद किए गए हैं, जबकि मलबे के नीचे कई लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। राहत-बचाव कार्य के लिए NDRF की टीम, फायर ब्रिगेड, पुलिस और एंबुलेंस तुरंत मौके पर पहुंची। क्षेत्र को सील कर दिया गया है और आसपास के अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे को “दिल को झकझोर देने वाला” बताया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर, पुर्तगाल, कनाडा और अमेरिका के नेताओं ने भी इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। एयर इंडिया की ओर से एक हेल्पलाइन नंबर (1800‑5691‑444) भी जारी किया गया है, जिस पर यात्री या उनके परिजन संपर्क कर सकते हैं।

अब तक की जांच में सामने आया है कि टेकऑफ के दौरान विमान के लैंडिंग गियर या फ्लैप सिस्टम में कोई तकनीकी गड़बड़ी हो सकती है। हालांकि, इसके पुष्टि ब्लैक बॉक्स की जांच के बाद ही हो पाएगी। विमान निर्माता कंपनी बोइंग, एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB), एयर इंडिया और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के विशेषज्ञ संयुक्त रूप से जांच कर रहे हैं। फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की तलाश की जा रही है।

इस दुर्घटना को भारत में हुई अब तक की सबसे गंभीर एयरक्रैश घटनाओं में से एक माना जा रहा है। विशेषकर इसलिए भी क्योंकि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की यह पहली ‘फेटल क्रैश’ घटना मानी जा रही है। ड्रीमलाइनर विमान को सबसे सुरक्षित और तकनीकी रूप से उन्नत श्रेणी का माना जाता है, पर इस हादसे ने उसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके कारण न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में बोइंग के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है।

भारत में इससे पहले भी कई बड़े विमान हादसे हुए हैं। वर्ष 2020 में कोझिकोड (केरल) में एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट 1344 रनवे से फिसलकर घाटी में गिर गई थी। इसमें 21 लोगों की जान चली गई थी। 2010 में मंगलोर में IX-812 फ्लाइट रनवे से फिसलने के बाद आग की चपेट में आ गई थी, जिसमें 158 यात्रियों की मृत्यु हुई थी। वर्ष 1996 में हरियाणा के चर्खी दादरी में सऊदी एयरलाइंस और कजाकिस्तान एयरलाइंस के विमानों की मिड-एयर टक्कर में 349 लोगों की जान गई थी, जो भारत का सबसे बड़ा विमान हादसा था। वहीं, वर्ष 1988 में अहमदाबाद में ही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 113 लैंडिंग के वक्त दुर्घटनाग्रस्त हुई थी और उसमें सवार सभी 133 लोगों की मौत हो गई थी।

ऐसे हादसे सिर्फ तकनीकी खराबी का ही नतीजा नहीं होते, बल्कि यह विमानन प्रणाली के समग्र मूल्यांकन की आवश्यकता को भी रेखांकित करते हैं। पायलट प्रशिक्षण, रनवे की निगरानी, एयर ट्रैफिक कंट्रोल की क्षमता और विमान रखरखाव जैसे मुद्दों पर अब फिर से गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है।

सरकार ने हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही मृतकों के परिजनों को उचित मुआवज़ा और सहायता देने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। एयर इंडिया की ओर से मुआवज़े के अलावा परामर्श सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।

यह हादसा सिर्फ 242 लोगों की मौत की खबर नहीं है, बल्कि यह समूचे देश के लिए एक चेतावनी है कि तकनीकी प्रगति के साथ-साथ सुरक्षा मानकों में भी सतत सुधार आवश्यक है। भारत जैसे विशाल देश में जहां विमानन का विस्तार तीव्र गति से हो रहा है, वहाँ एक-एक चूक भी सैकड़ों जिंदगियों को निगल सकती है।

अब पूरा देश इस हादसे के पीछे के कारणों की गहराई से जांच और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने की प्रतीक्षा कर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ब्लैक बॉक्स डेटा से विमान की तकनीकी स्थिति, पायलट की बातचीत और आखिरी क्षणों की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

यह घटना न केवल भारत बल्कि वैश्विक नागरिक उड्डयन जगत को झकझोरने वाली है। सवाल अब यह नहीं है कि क्या हुआ, बल्कि यह है कि अब आगे कैसे रोका जाएगा?