
उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने डिजिटल फ्रॉड, स्टॉक मार्केट, पार्सल स्कैम, पोर्टल स्कैम और साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले एक ऐसे संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो अवैध तरीके से फर्जी सिम कार्ड एक्टिवेशन कर साइबर ठगों को उपलब्ध कराता था। इस मामले में एसटीएफ द्वारा एक अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया है और पूछताछ के दौरान गिरोह के नेटवर्क और कामकाज के गंभीर खुलासे हुए हैं।
एसटीएफ को 15 मई 2025 को जानकारी मिली थी कि कुछ संदिग्ध व्यक्ति संगठित रूप से फर्जी तरीके से एक्टिवेटेड सिम कार्ड बेचने के काम में शामिल हैं। इसी सूचना के आधार पर एसटीएफ की साइबर सेल टीम द्वारा जांच की गई और 18 जून 2025 को जनपद चित्रकूट से अभियुक्त संदीप पाण्डेय को गिरफ्तार किया गया, जिसके ऊपर ₹25,000 का इनाम भी घोषित था। पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के निर्देशन में की गई इस कार्रवाई के दौरान अभियुक्त से पूछताछ में कई अहम जानकारियां प्राप्त हुईं।
पूछताछ में पता चला कि गिरोह में एक अहम भूमिका निभाने वाले कुछ सदस्य दिल्ली, मुंबई और अन्य राज्यों में रहकर विदेशी मोबाइल हैंडसेट्स पर फर्जी पहचान पत्र और आईडी के आधार पर सिम कार्ड एक्टिवेट करवाते थे। ये लोग मोबाइल कंपनियों की पॉलिसी का गलत फायदा उठाकर एक ही व्यक्ति के नाम पर कई सिम एक्टिवेट करवाते थे और फिर उन्हें साइबर ठगों को ऊंचे दामों में बेचते थे। गिरोह में कई सदस्य फर्जीवाड़े के लिए पीओएस रजिस्टर्ड सिम या बायोमेट्रिक डिवाइस का भी इस्तेमाल करते थे।
गिरफ्तार अभियुक्त संदीप पाण्डेय ने बताया कि वह वर्ष 2017 में लातूर, महाराष्ट्र में आईडिया कंपनी का रिटेलर था। वहीं उसकी मुलाकात गिरोह के मुख्य सरगना शिवदयाल से हुई, जिसने उसे यह धंधा शुरू करने के लिए प्रेरित किया। शुरुआत में वह मोबाइल रिटेलिंग के नाम पर आईडिया सिम बेचता था लेकिन बाद में गिरोह के लिए फर्जी एक्टिवेटेड सिम की सप्लाई करने लगा। गिरोह का सदस्य शिवदयाल, जो फिलहाल मुंबई में है, सिम कार्ड के फर्जी एक्टिवेशन का पूरा तकनीकी ज्ञान रखता था और उसने संदीप को यह कारोबार सिखाया।
संदीप पाण्डेय ने यह भी बताया कि गिरोह के पास आईडी और फोटो का एक बड़ा डाटाबेस था, जिनके जरिए वे फर्जी ग्राहकों के नाम पर एक्टिवेशन करते थे। प्रत्येक सिम को 200 से 300 रुपये में बेचा जाता था और इसका दाम सूरत, मुंबई या दिल्ली के साइबर अपराधियों को 250 से 300 रुपये प्रति सिम तक वसूला जाता था। गिरोह की नेटवर्किंग इतनी मजबूत थी कि पिछले दो-तीन वर्षों में लगभग 10,000 से अधिक सिम कार्ड इस तरह के अवैध तरीकों से एक्टिवेट कर बेचे जा चुके हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है और एसटीएफ जल्द ही उनके ठिकानों पर दबिश दे सकती है। साथ ही बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की फॉरेंसिक जांच की जा रही है ताकि अधिक जानकारी जुटाई जा सके। गिरफ्तार अभियुक्त से अब तक कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं, जिससे यह स्पष्ट हुआ है कि साइबर अपराध में प्रयुक्त सिम कार्डों की बड़ी खेप इसी गिरोह के जरिए मुहैया कराई जाती थी।
इस प्रकरण में संबंधित धाराओं के तहत आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है।