
लखनऊ, 1 जुलाई।
उत्तर प्रदेश के संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने सोमवार को गोमतीनगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी परिसर के संत गाडगे प्रेक्षागृह में आयोजित ग्रीष्मकालीन प्रस्तुतिपरक कार्यशालाओं के समापन समारोह में कहा कि “संगीत व्यक्ति को ही नहीं, पूरे समाज को जोड़ने का कार्य करता है। यह कला एकाकीपन को समाप्त कर सामाजिक सौहार्द और समरसता का माध्यम बनती है।”
कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने बताया कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में आयोजित कार्यशालाओं में कुल 19,000 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनमें लखनऊ से 300 से अधिक कलाकार शामिल हुए, जिन्होंने विभिन्न विधाओं में प्रभावशाली प्रस्तुतियां दीं। प्रतिभागियों की उम्र 5 वर्ष से लेकर 74 वर्ष तक रही, जो इस आयोजन की व्यापकता और समावेशिता का प्रमाण है।

संस्कृति के क्षेत्र में नई ऊर्जा और पारदर्शिता
मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में प्रदेश में कला, नृत्य, संगीत और लोक विरासत को संरक्षित व संवर्धित करने की दिशा में निरंतर कार्य हो रहा है।”
उन्होंने बताया कि ‘विरासत भी, विकास भी’ की नीति के अंतर्गत प्रदेशभर में शैक्षिक और गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से लुप्तप्राय: कलाओं का संरक्षण किया जा रहा है।
उन्होंने घोषणा की कि पंजीकृत कलाकारों को तीन से अधिक प्रस्तुतियों के लिए शासन से अनुमति लेनी होगी और उनकी प्रस्तुतियों को संस्कृति विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा ताकि कार्य में पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही, आधुनिक तकनीक की मदद से कलाकारों का श्रेणीबद्ध पंजीकरण किया जा रहा है।

विविध विधाओं में हुए विशेष आयोजन
मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से इस वर्ष पहली बार इतनी वृहद स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
इन कार्यशालाओं में गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया गया।
कार्यशालाएं गाँवों, पंचायतों, स्कूलों, बन्दीगृहों, दिव्यांग सेवा समितियों और नक्षत्र फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित की गईं।
जनपद सम्भल में 14 जुलाई को कार्यशालाओं का अंतिम समापन होगा। चित्रकूट में कोल जनजाति की बालिकाओं के लिए नाट्य कार्यशाला, वाराणसी में मुखौटा एवं कठपुतली निर्माण कार्यशाला तथा अन्य जनपदों में ध्रुपद-धमार, सारंगी, शहनाई, पखावज, आल्हा-बिरहा, टप्पा जैसी लुप्त होती विधाओं पर आधारित कार्यशालाएं सफलतापूर्वक आयोजित की गईं।

लखनऊ में गूंजा कला का उत्सव
लखनऊ की प्रस्तुतियों में 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और अपनी कला का प्रदर्शन किया।
5 वर्ष से 74 वर्ष तक के कलाकारों ने संगीत, नृत्य, गायन व वादन की प्रस्तुतियां दीं।
मंत्री जयवीर सिंह ने 74 वर्षीय कलाकार केवल कुमार की कलायात्रा की विशेष प्रशंसा करते हुए कहा कि “यह आयोजन उम्र की सीमा को तोड़कर कला के प्रति समर्पण का अद्भुत उदाहरण है।”

प्रशिक्षण और प्रस्तुतियां
कार्यशालाओं में शास्त्रीय गायन, उपशास्त्रीय गायन, तबला वादन, कथक नृत्य और लोकगीत गायन का प्रशिक्षण दिया गया।
प्रमुख प्रस्तुतियों में शामिल रहे:
शास्त्रीय गायन (निर्देशक: राहुल अवस्थी): राग भूपाली में ‘मा नि बरज गाए’, राग बिहाग में ‘गोपाल गोकुल बल्लभी’ जैसे गीतों की प्रस्तुति।
उपशास्त्रीय गायन (निर्देशक: उस्ताद गुलशन भारती): दादरा ‘झमाझम पानी भरे’, ठुमरी ‘सांवरिया ने जादू डाला’, टप्पा ‘मैं ता चाल पहचानी’।
तबला वादन (निर्देशक: डॉ. पवन कुमार): तीन ताल, कायदा, रूपक और कहरवा ताल पर प्रभावशाली प्रदर्शन।

लोक गायन (निर्देशक: केवल कुमार): ‘भोले बाबा के चरनन मा’, ‘ओ चंदा जइयो बिरन के देसवा’, ‘गोरी नयना तोहार रत्नार’ आदि लोकगीत।
कथक नृत्य (निर्देशक: डॉ. मंजू मलकानी और नीता जोशी): ‘कन्हैया तोरी मुरली बैरन भई’, ‘छाप तिलक’, ‘मैं तो पिया से नैना लड़ा आई’ पर मोहक नृत्य प्रस्तुतियाँ। एक दिव्यांग प्रतिभागी की कथक प्रस्तुति ने विशेष सराहना बटोरी।
आयोजन के मुख्य अतिथि और सम्माननीय उपस्थिति
इस समारोह में विशेष रूप से उपस्थित रहे:
संस्कृति, पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष प्रो. जयंत खोत
पद्मश्री लोकगायिका मालिनी अवस्थी
पर्यटन विभाग के सलाहकार जेपी सिंह
अकादमी की उपाध्यक्ष विभा सिंह
निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर
तथा अन्य अधिकारी और कला प्रेमी।
कार्यक्रम का संचालन महिता दिवास्कर ने कुशलता से किया।
मंत्री जयवीर सिंह ने कार्यक्रम के अंत में कहा कि “संस्कृति विभाग आने वाले समय में भी प्रदेश के कोने-कोने में कला की अलख जलाता रहेगा। संगीत और नाट्य कला के माध्यम से समाज को जोड़ने का यह अभियान निरंतर जारी रहेगा।”