shubhanshu shukla: वो पल जब भारत का बेटा अंतरिक्ष से लौट आया…पूरी दुनिया की निगाहें उस पर थीं… और हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। शुभांशु शुक्ला एक नाम, जिसने अंतरिक्ष में भारत की मौजूदगी दर्ज करवाई। आज हम जानेंगे – शुभांशु की ट्रेनिंग से लेकर स्पेस मिशन और वापसी तक की कहानी।
Shubhanshu Shukla: शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष से पहला संदेश
उन्होंने अंतरिक्ष में 18 दिन बिताकर न सिर्फ वैज्ञानिक प्रयोगों को सफल बनाया, बल्कि भारत की अंतरिक्ष शक्ति को एक नई पहचान दी।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय एस्ट्रोनट शुभांशु शुक्ला के पृथ्वी पर लौटने की तिथि करीब आ चुकी है. शुक्ला अंतरिक्ष में 18 दिन बिताने के बाद 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौट आएंगे. स्पेश सेंटर से वो 14 जुलाई को रवाना होंगे,….भारत के लिए 41 वर्षों बाद अंतरिक्ष में लौटने का ऐतिहासिक क्षण आ गया है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, अमेरिका की Axiom Space कंपनी के वाणिज्यिक मिशन के तहत, 25 जून 2025 को दोपहर 12:01 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशनकी ओर रवाना हुए।
उड़ान भरने के मात्र 10 मिनट बाद शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से एक भावनात्मक संदेश जारी किया
नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों, हम 41 साल बाद एक बार फिर अंतरिक्ष में वापस आ गए हैं। यह एक अद्भुत सफर है। हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। मेरे कंधों पर भारत का तिरंगा लगा हुआ है, जो बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूँ।
मेरी यह यात्रा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा की शुरुआत नहीं है, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान की शुरुआत है। मैं चाहता हूं कि आप सभी इस यात्रा का हिस्सा बनें। आपका सीना भी गर्व से चौड़ा होना चाहिए… आइये, हम संब मिलकर भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करें। जय हिंद! जय भारत।
अब तक, शुक्ला अंतरिक्ष में 18 दिन बिता चुके हैं, जहाँ उन्होंने हर दिन 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखे, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से घूमता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि की इसरो ने शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा के लिए लगभग 550 करोड़ रुपए ख़र्च किए. यह अनुभव इसरो को 2027 में शुरू होने वाले अपने मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की योजना में मदद करेगा.
शुक्ला और अन्य तीन अंतरिक्ष यात्री भारतीय समयानुसार दोपहर 2:25 बजे अंतरिक्ष यान में सवार होंगे, स्पेस सूट पहनेंगे और ज़रूरी जांच के बाद पृथ्वी की ओर वापसी की यात्रा शुरू करेंगे. ड्रैगन अंतरिक्ष यान धीरे-धीरे रफ़्तार कम कर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के लिए ऑटोमेटिक अनडॉकिंग की प्रक्रिया शुरू करेगा.
इसके बाद वह अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया तट के पास समुद्र में लैंड करेगा. वही नासा ने कहा कि, “ड्रैगन अंतरिक्ष यान 580 पाउंड से अधिक सामान के साथ लौटेगा, जिसमें नासा का हार्डवेयर और इस मिशन के दौरान किए गए 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों का डेटा शामिल है.”
आईएसएस पर अपने प्रवास के दौरान शुभांशु शुक्ला ने माइक्रोएल्गी प्रयोग पर काम किया. उन्होंने ऐसे सैंपल लिए जो भविष्य में बड़े अंतरिक्ष अभियानों के लिए भोजन, ऑक्सीजन और बायोफ़्यूल का स्रोत बन सकते हैं.
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