
लखनऊ। उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (UP RERA) द्वारा गठित एक महत्वपूर्ण कमेटी में अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी के बेटे जयश भूसरेड्डी को शामिल किए जाने पर नौकरशाही और रियल एस्टेट जगत में हलचल मच गई है।
यह कमेटी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के समक्ष विचाराधीन 196 डिफॉल्टर रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स से संबंधित मामलों के अध्ययन और प्रस्तुति के लिए बनाई गई थी। जयश भूसरेड्डी की सदस्यता ने सभी को चौंका दिया, क्योंकि यह नियुक्ति खुद RERA अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी के पारिवारिक संबंधों के चलते ‘हितों के टकराव’ (Conflict of Interest) की ओर संकेत कर रही है।
संजय भूसरेड्डी को एक ईमानदार और दक्ष अधिकारी माना जाता रहा है। आबकारी विभाग में उनके कार्यकाल के दौरान राजस्व को रिकॉर्ड स्तर पर ले जाने के दावे के बाद उन्हें RERA अध्यक्ष जैसा प्रतिष्ठित पद सौंपा गया था। इससे पहले इस पद पर यूपी के पूर्व मुख्य सचिव राजीव कुमार तैनात थे।
लेकिन अब उनके बेटे की नियुक्ति को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या पारदर्शिता से समझौता हुआ है? यूपी रेरा के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक, इस नियुक्ति को लेकर उठी प्रतिक्रिया के बाद यह आदेश एक सप्ताह के भीतर निरस्त किया जा सकता है।
ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है कि जब रियल एस्टेट सेक्टर में विश्वास और पारदर्शिता बहाल करने के लिए RERA जैसी संस्था बनाई गई थी, तब उसके शीर्ष पद पर बैठे अधिकारी के परिवार को ही समिति में लाना एक नैतिक संकट की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल अफसरशाही की साख पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि “ईमानदारी” शब्द की परिभाषा को भी कठघरे में ला दिया है।