धर्मांतरण, ब्रेनवॉश और आतंक की साजिश: आगरा से कोलकाता तक 50 पुलिसकर्मियों की गोपनीय ऑपरेशन में बहनों को बचाया, धर्म परिवर्तन गैंग का पर्दाफाश

उत्तर प्रदेश के आगरा में दो सगी पंजाबी बहनों के धर्म परिवर्तन और आतंक की ओर मोड़ने की कोशिश का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आगरा पुलिस ने एक बेहद गोपनीय और साहसिक ऑपरेशन के तहत कोलकाता से दोनों बहनों को सुरक्षित रेस्क्यू किया और देश के 6 राज्यों से 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस रैकेट के तार पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ते पाए गए हैं।

धर्म परिवर्तन के बाद दोनों बहनों का ब्रेनवॉश कर उन्हें आत्मघाती हमलों के लिए तैयार किया जा रहा था। इनमें से एक बहन ने फेसबुक पर AK-47 के साथ बुर्के में फोटो अपलोड की थी। दोनों बहनों की पहचान बदलकर अमीना और जोया कर दी गई थी और उन्हें कोलकाता के बकरमहल स्थित मुस्लिम बस्ती में रखा गया था।

कैसे हुआ खुलासा?

24 मार्च 2025 को आगरा के एक जूता कारोबारी की दो बेटियां अचानक लापता हो गईं। बड़ी बेटी एम.फिल कर चुकी थी जबकि छोटी ग्रेजुएशन कर रही थी। परिजनों की तहरीर पर आगरा साइबर क्राइम थाना ने जांच शुरू की। पता चला कि बड़ी बेटी 2020 में पढ़ाई के दौरान उधमपुर की समा के संपर्क में आई थी और 2021 में वह उसे कश्मीर ले गई थी। वहां से लड़की को पिता वापस ले आए थे, लेकिन संपर्क बना रहा।
बड़ी बहन घर लौटने के बाद छोटी बहन को भी इस्लाम कबूल करने का दबाव डालने लगी। 24 मार्च को दोनों बहनें अचानक घर से निकल गईं। जांच के दौरान सामने आया कि इनका संबंध एक अंतरराज्यीय धर्मांतरण गिरोह से है जो कनाडा और अमेरिका से फंडिंग प्राप्त करता है।
गिरफ्तार आरोपी और उनका नेटवर्क
आगरा पुलिस ने जो 11 लोग गिरफ्तार किए हैं, उनमें 6 कन्वर्टेड मुस्लिम हैं:
अबू तालिब
अब्दुल रहमान
मुहम्मद इब्राहिम (असली नाम ऋतिक बानिक)
अली हसन (कोर्ट कर्मी, असली नाम शेखर राय)
मुस्तफा उर्फ मनोज
जुनैद कुरैशी
रहमान कुरेशी (यूट्यूबर, ब्रेनवॉश करता था)
एसबी कृष्णा उर्फ आयशा
रूपेंद्र सिंह उर्फ अब्दुर्रहमान
मोहम्मद अली उर्फ पीयूष पवार
ओसामा
गिरफ्तार आरोपियों में से कई ने हिंदू धर्म से इस्लाम कबूल कर लिया था, फिर वे इस्लाम के प्रचारक बन गए। इनका काम कम उम्र की हिंदू लड़कियों को फंसाना, धर्म परिवर्तन कराना, और फिर उन्हें कट्टरपंथ की ओर मोड़ना था। आरोपी आयशा को कनाडा से दाऊद नाम का व्यक्ति फंडिंग करता था।

पुलिस का गुप्त ऑपरेशन

इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन को आगरा पुलिस की स्पेशल 50 टीम ने अंजाम दिया। टीम के सदस्यों की प्रोफाइलिंग कर गुप्त रूप से चुना गया था। टीम के कुछ सदस्य पत्रकार और अन्य पेशेवरों के भेष में कोलकाता पहुंचे ताकि गिरोह को कोई शक न हो। यह ऑपरेशन इतना गोपनीय था कि एक टीम को दूसरी टीम की जानकारी नहीं थी।

4 मई को FIR दर्ज करने के 15 दिन बाद पुलिस को दोनों बहनों की लोकेशन कोलकाता के बकरमहल में मिली। पुलिस ने स्थानीय सहायता से रेस्क्यू किया, उस वक्त दोनों बुर्का पहने थीं और दो मुस्लिम युवकों के साथ रह रही थीं। रेस्क्यू के दौरान महिला पुलिसकर्मियों के साथ दोनों बहनों के माता-पिता भी मौजूद थे।

आतंकी बनने की चाह

छोटी बहन के मोबाइल में चैट मिली, जिसमें उसने खुद को मुजाहिद और इस्लाम के लिए कुर्बान होने की इच्छा जाहिर की थी। अब दोनों बहनों की काउंसिलिंग कराई जा रही है।

ATS और STF की भूमिका

अब इस गिरोह की जांच यूपी एटीएस और एसटीएफ द्वारा की जा रही है। धर्मांतरण से लेकर आतंक के प्रशिक्षण तक, गिरोह का पूरा नेटवर्क खंगाला जा रहा है।

यह घटना न सिर्फ धर्मांतरण बल्कि आतंकवाद की दिशा में हो रहे ब्रेनवॉश की खतरनाक साजिश को उजागर करती है। आगरा पुलिस की गोपनीय, टेक्निकल और साहसी कार्रवाई ने दो मासूम बहनों को उस रास्ते पर जाने से रोक लिया, जहाँ से लौटना लगभग असंभव होता।