
हरदोई/माधोगंज। क्षेत्र के गांव नईबस्ती के पास स्थित शराब की दुकान को लेकर रविवार को स्थानीय महिलाओं का आक्रोश फूट पड़ा। लंबे समय से गांव में मौजूद इस शराब के ठेके को लेकर ग्रामीणों खासतौर पर महिलाओं के भीतर दबा हुआ असंतोष आखिरकार सड़कों पर फूट पड़ा। बड़ी संख्या में महिलाएं एकजुट होकर दुकान पर पहुंचीं और वहां जमकर हंगामा किया।
महिलाओं का कहना है कि इस दुकान की वजह से उनके परिवारों का जीवन नर्क बन गया है। सुबह से लेकर देर रात तक दुकान खुली रहती है और दिन भर शराबियों की भीड़ लगी रहती है। महिलाओं ने बताया कि न सिर्फ वयस्क पुरुष बल्कि किशोर और युवा लड़के भी इस दुकान से खुलेआम शराब खरीद रहे हैं। इससे गांव का माहौल दिन-प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है।
स्थानीय महिलाओं का आरोप है कि नशे में धुत लोग रात में घरों के बाहर पड़े रहते हैं, गाली-गलौज करते हैं और महिलाओं पर अभद्र टिप्पणियां करना आम बात हो गई है। बच्चे भय के माहौल में बड़े हो रहे हैं और महिलाएं घर से बाहर निकलने से कतराने लगी हैं। शराबी राह चलती महिलाओं से छींटाकशी करते हैं जिससे गांव में असुरक्षा की भावना घर कर गई है।
देर रात तक दुकान खुली रहने के कारण कई बार मारपीट और झगड़े की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया। रविवार को जब महिलाओं का धैर्य जवाब दे गया तो वे समूह बनाकर दुकान पर जा पहुंचीं और विरोध जताया। महिलाओं ने दुकान के बाहर नारेबाजी की और ठेके को तुरंत हटाने की मांग की।
गांव की एक बुजुर्ग महिला ने बताया, “हमने पहले भी कई बार अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी। अब तो बच्चों का भविष्य खतरे में है। रोज रात को डर लगता है कि कोई घटना न हो जाए।” एक अन्य महिला का कहना था कि जब तक ठेका नहीं हटेगा, तब तक विरोध जारी रहेगा।
हंगामे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और हालात को काबू में लिया। मौके पर पहुंचे क्षेत्रीय आबकारी निरीक्षक ने प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं से बातचीत की और उनकी समस्याएं सुनीं। अधिकारियों ने तुरंत प्रभाव से शराब के ठेके को दूसरी जगह स्थानांतरित कराने का आश्वासन दिया।
इस मौके पर कुछ स्थानीय पुरुषों ने भी महिलाओं का समर्थन किया और अधिकारियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गांव के बीचों-बीच शराब की दुकान होना प्रशासन की बड़ी चूक है। न तो सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं और न ही कोई निगरानी व्यवस्था। लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि इस दुकान से अवैध रूप से भी शराब की बिक्री की जा रही थी और कई बार नाबालिगों को भी शराब दी गई।
गांव के ही एक युवा ने कहा, “यह दुकान सिर्फ शराब नहीं बेच रही थी, बल्कि नशे की लत और अपराध का केंद्र बन चुकी थी। युवाओं को शराबी बनाया जा रहा था, जिससे गांव का सामाजिक ढांचा ही चरमराने लगा था।” प्रदर्शनकारियों की ओर से साफ कहा गया कि अगर जल्द ही दुकान को हटाया नहीं गया, तो वे जिला मुख्यालय पर धरना देंगे।
घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि जब प्रशासन लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता, तो जनता को खुद आगे आकर आवाज उठानी पड़ती है। खासकर महिलाओं का यह साहसी कदम न सिर्फ उनके अधिकारों की रक्षा का उदाहरण है, बल्कि समाज को झकझोर देने वाला संदेश भी है।
प्रदर्शन में शामिल एक महिला ने कहा, “आज हमें मजबूर होकर यह कदम उठाना पड़ा, लेकिन अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो हम और भी बड़ा आंदोलन करेंगे। हमारी चुप्पी अब खत्म हो चुकी है। अब हमें सुरक्षित जीवन चाहिए, नशे का वातावरण नहीं।”
फिलहाल ठेके को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि नई जगह की तलाश की जा रही है और जब तक वैकल्पिक स्थान नहीं मिल जाता, तब तक दुकान को बंद रखा जाएगा।
इस घटना से साफ हो गया है कि ग्रामीण महिलाएं अब अपने अधिकारों के प्रति सजग हैं और वे किसी भी कीमत पर अपने गांव के माहौल को बिगड़ने नहीं देंगी। यह विरोध सिर्फ शराब की दुकान के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह आवाज थी एक सुरक्षित, शांत और स्वस्थ समाज के लिए।