
देवरिया, अमर भारती ब्यूरो (सुनील शर्मा):
देवरिया जिले में पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) के भीतर भ्रष्टाचार की परतें एक-एक कर खुलती जा रही हैं। ताजा घटनाक्रमों ने विभाग की साख को ज़बरदस्त झटका दिया है और प्रदेश सरकार की “जीरो टॉलरेंस नीति” पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
भ्रष्टाचार प्रकरण संख्या 1: 6 करोड़ की फर्जी मांग
29 मार्च 2025 को पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड ने शासन को चकमा देते हुए 6 करोड़ 8 लाख 20 हजार रुपये की धनराशि मांग ली। यह फंड एक 9 साल पुराने फाइनल बांड को दोबारा ओपन कर जिले की ADB (एशियन डेवलपमेंट बैंक) की सड़क को अपना बताकर मांगा गया।
ADB की सड़क — कप्तानगंज-हाटा-गौरीबाजार-रुद्रपुर मार्ग (लंबाई 21.875 किमी) — अभी 2027 तक ADB बस्ती मॉनिटरिंग डिवीजन के अधीन है।
जांच में खुलासा हुआ कि पीडब्ल्यूडी का इससे कोई संबंध नहीं था और सिर्फ पैसे हड़पने के लिए यह रास्ता अपनाया गया।
पैसे के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ, मामला मीडियाकर्मियों तक पहुंचा और फिर सारा खेल उजागर हो गया। मजबूर होकर अधिकारियों ने सफाई दी कि 6 करोड़ की राशि शासन को लौटा दी जाएगी।
नामजद अधिकारी और ठेकेदार:
अधिशासी अभियंता अनिल कुमार जाटव
सहायक अभियंता क्षितिज जायसवाल, के. राम
अवर अभियंता गणेश पासवान, अवनीश जायसवाल
ठेकेदार जय शक्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी
इन सभी पर विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है।
भ्रष्टाचार प्रकरण संख्या 2: कृषि मंत्री के कार्यक्रम में फर्जी बिलिंग का खेल
17 अक्टूबर 2021 को देवरिया के पथदेवा विधानसभा में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के कृषि शिक्षा व अनुसंधान कार्यक्रम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की उपस्थिति रही। कार्यक्रम तीन दिन चला, लेकिन इसके नाम पर पीडब्ल्यूडी ने 4.27 करोड़ रुपये के फर्जी बिल शासन को भेजे।
फर्जी एस्टीमेट और बिल बनाकर कार्य न होने पर भी भुगतान की सिफारिश की गई।
प्रमुख सचिव लोक निर्माण अजय चौहान ने पुष्टि की कि इस घोटाले में कई अभियंताओं की भूमिका संदिग्ध है।
जिन पर कार्यवाही की संस्तुति हुई:
अधिशासी अभियंता अनिल जाटव
सहायक अभियंता संजय कुमार राय
अवर अभियंता साहब हुसैन और अनूप सिंह
कमल किशोर (तत्कालीन अधिशासी अभियंता) ने इस फर्जी दस्तावेज़ पर अपने हस्ताक्षर जाली बताए, लेकिन शासन की विस्तृत जांच में उनकी संपृक्ति सिद्ध हो गई और उन्हें निलंबित कर दिया गया।
क्या बोले ज़िला अधिकारी और मंत्री?
जिलाधिकारी दिव्या मित्तल:
“पीडब्ल्यूडी में हुए भ्रष्टाचार को लेकर पूर्व अधिशासी अभियंता कमल किशोर को निलंबित किया जा चुका है। अन्य दोषियों पर भी जांच के बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही:
“यह मामला फर्जी भुगतान का नहीं है। तीन दिन कार्यक्रम चला था, कुछ बिल मेरे कहने पर पास हुए हैं। मैं नहीं मानता कि इसमें कोई फर्जीवाड़ा है। मीडिया इसे जरूरत से ज्यादा तूल न दे।”