
लखनऊ, दक्षिण कोरिया के सांस्कृतिक नगर बुसान के बेक्सको में 07 से 10 अगस्त तक आयोजित बुसान इंटरनेशनल बुद्धिज़्म एक्सपो 2025 का भव्य समापन उत्तर प्रदेश के बौद्ध पर्यटन की ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ हुआ। इस आयोजन में उत्तर प्रदेश पर्यटन पवेलियन ने भगवान बुद्ध से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों, सांस्कृतिक धरोहर और बौद्ध सर्किट की विशेषताओं का शानदार प्रदर्शन कर विश्व मंच पर अपनी पहचान और मजबूत की।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि यह आयोजन भारत-कोरिया संबंधों का नया युग है। बौद्ध सर्किट को लेकर कोरियाई समुदाय में गहरी दिलचस्पी देखने को मिली और अब अक्टूबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच 1,000 से अधिक कोरियाई पर्यटक उत्तर प्रदेश के बौद्ध स्थलों का भ्रमण करेंगे। इनमें 22 से 27 जनवरी 2026 के बीच 500 तीर्थयात्रियों का विशेष दल शामिल होगा।
इस एक्सपो में यूपी पवेलियन का शुभारंभ भारतीय दूतावास की प्रथम सचिव अनन्या अग्रवाल और यूपी पर्यटन प्रतिनिधि ने किया। कोरियाई बौद्ध धर्म के वरिष्ठ भिक्षु सुबुल सुनीम ने सारनाथ, कुशीनगर, कपिलवस्तु, संकिसा और श्रावस्ती जैसे स्थलों के संरक्षण व विकास की सराहना करते हुए तीर्थ यात्रा का निमंत्रण स्वीकार किया।
अयोध्या का विशेष उल्लेख भी वार्ता में रहा, जहां महारानी हियो ह्वांग-ओक का जन्म माना जाता है। इस ऐतिहासिक जुड़ाव ने कोरियाई प्रतिनिधिमंडल को गहराई से प्रभावित किया। पवेलियन में ‘बुद्धा राइस’, सांस्कृतिक प्रदर्शनियां और बौद्ध कथाओं ने आगंतुकों का ध्यान खींचा।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि यह सिर्फ पर्यटन नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और मित्रता का संगम है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने इसे उत्तर प्रदेश को वैश्विक बौद्ध आध्यात्मिक केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।
इस सफलता के साथ यूपी पर्यटन ने न केवल कोरिया बल्कि पूरे एशिया के बौद्ध समुदाय के साथ अपने सांस्कृतिक रिश्तों को नया आयाम दिया है, जो भविष्य में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन और आध्यात्मिक यात्राओं के लिए नए अवसर खोलेगा।