
लोहे की छड़ सिर में आर-पार, KGMU के डॉक्टरों ने घंटों की जद्दोजहद के बाद मासूम कार्तिक की बचाई जिंदगी
लखनऊ। राजधानी लखनऊ का किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) एक बार फिर अपनी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं और दक्ष चिकित्सकों की बदौलत सुर्खियों में है। यहां के न्यूरोसर्जन डॉक्टरों ने असंभव दिखने वाले एक ऑपरेशन को अंजाम देकर मासूम की जिंदगी बचा ली। गोमतीनगर निवासी मासूम कार्तिक के सिर में लोहे की छड़ आर-पार घुस गई थी। यह हादसा इतना गंभीर था कि परिवार ने बच्चे को बचाने की उम्मीद लगभग छोड़ दी थी। हर कोई सोच रहा था कि इतनी गहरी चोट के बाद अब जिंदगी की डोर बचना नामुमकिन है। लेकिन KGMU के न्यूरोसर्जरी विभाग की टीम ने हिम्मत और हुनर का ऐसा परिचय दिया, जिसने इतिहास रच दिया।

कार्तिक को जब KGMU लाया गया, तो उसकी हालत बेहद नाजुक थी। सिर के आर-पार धंसी लोहे की छड़ देखकर सभी दंग रह गए। सांसें धीमी पड़ चुकी थीं और खून बहने से स्थिति और भी गंभीर हो चुकी थी। डॉक्टरों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि छड़ निकालते समय न तो बच्चे की नसें कटें और न ही मस्तिष्क को स्थायी क्षति पहुँचे। जरा सी चूक उसकी जान ले सकती थी। इस कठिन घड़ी में पूरे ऑपरेशन की जिम्मेदारी डॉ. के.के. सिंह ने संभाली।
डॉ. सिंह के साथ ऑपरेशन थिएटर में डॉ. अंकुर बजाज, डॉ. सौरभ रैना, डॉ. जैसन गोलमी और डॉ. अंकिन बसु जैसे अनुभवी और युवा डॉक्टर मौजूद थे। सभी ने टीमवर्क का शानदार उदाहरण पेश किया। घंटों चले इस ऑपरेशन में बेहद बारीकी से कदम उठाए गए। सबसे पहले खून का रिसाव रोका गया, फिर छड़ को धीरे-धीरे बाहर निकाला गया। इस दौरान हर पल खतरे से भरा हुआ था। डॉक्टरों ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए न केवल छड़ को सुरक्षित बाहर निकाला बल्कि कार्तिक के जीवन को भी सुरक्षित कर लिया।
परिवार के लोग ऑपरेशन थिएटर के बाहर आंखों में आंसू और दिल में दुआओं के साथ बैठे रहे। हर मिनट उन्हें यही डर सता रहा था कि कहीं अंदर से कोई बुरी खबर न आ जाए। लेकिन कई घंटे बाद जब डॉक्टर बाहर निकले और बच्चे की जिंदगी बचाने की सूचना दी, तो परिजनों की आंखों से राहत के आंसू बह निकले। कार्तिक की मां ने भावुक होकर डॉक्टरों को भगवान का रूप बताया और कहा कि “हमने तो उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन KGMU ने हमें हमारा बेटा फिर से लौटा दिया।”
डॉक्टरों का कहना है कि यह ऑपरेशन बेहद जटिल था। ऐसी परिस्थितियों में मरीज का बचना मुश्किल ही नहीं, बल्कि लगभग नामुमकिन माना जाता है। लेकिन समय रहते इलाज और सटीक चिकित्सा पद्धति के चलते यह संभव हो पाया। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि KGMU की यही सबसे बड़ी ताकत है कि यहां हर तरह की आपात स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी रहती है और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम हर वक्त मौजूद रहती है।
यह सफलता न सिर्फ डॉक्टरों की मेहनत और कौशल का नतीजा है, बल्कि यह भी साबित करती है कि KGMU क्यों उत्तर भारत का सबसे बड़ा और भरोसेमंद मेडिकल सेंटर कहा जाता है। कार्तिक का जीवन बचना आज हजारों परिवारों को यह भरोसा भी दिलाता है कि अगर मुसीबत बड़ी हो, तो KGMU जैसे संस्थान पर आस्था रखना व्यर्थ नहीं जाएगा।