
रिपोर्टर: प्रदीप मिश्रा
लखीमपुर खीरी। सरकार एक ओर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए सीएचसी-पीएचसी स्तर पर निशुल्क प्रसव एवं बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराने के आदेश देती है, वहीं दूसरी ओर बेहजम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की स्टाफ नर्स कुसुम खुलेआम इन आदेशों को ठेंगा दिखा रही है। मरीजों और उनके तीमारदारों ने नर्स कुसुम पर लगातार शोषण, अवैध वसूली और लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं।
मरीजों के परिजनों की शिकायत पर सीएचसी अधीक्षक डॉ. अनिल वर्मा ने स्टाफ नर्स कुसुम को कई बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने अपना रवैया नहीं बदला। इसके बाद मामला जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. संतोष गुप्ता तक पहुँचा। सीएमओ ने तत्काल कार्रवाई करते हुए नर्स कुसुम का तबादला ईसानगर कर दिया और अधीक्षक ने उन्हें रिलीज भी कर दिया।
लेकिन, आश्चर्य की बात यह रही कि नर्स कुसुम ने सीएचसी बेहजम छोड़ने से साफ इंकार कर दिया और अपनी ज़िद पर अड़ी रहीं। जब अधीक्षक ने बहुजन चौकी प्रभारी सिद्धार्थ पवार को सूचना दी, तो महिला पुलिस मौके पर पहुँची। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के समझाने के बाद भी नर्स कुसुम ने न केवल जाने से मना कर दिया, बल्कि अधीक्षक पर गंभीर आरोप भी जड़ दिए।
मरीजों के परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप
जाँच के दौरान मरीजों के परिजनों ने बताया कि नर्स कुसुम का रवैया बेहद अमानवीय है। आरोप है कि ड्यूटी के दौरान वह अधिकतर समय लेबर रूम में सोती रहती हैं। प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिलाओं को देखने के बजाय कह देती हैं कि “प्रसव दाई करा देंगी।”
अक्सर उनकी ड्यूटी में प्रसव पीड़िता को बिना समुचित इलाज दिए जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि नर्स कुसुम द्वारा प्रसव कराने के नाम पर ₹500 लिए जाते हैं, जिसमें ₹350 अस्पताल में जमा होता है, ₹50 दाई को दिया जाता है और ₹100 वह खुद रखती हैं।
सरकार के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियाँ
योगी सरकार की ओर से मातृ-शिशु देखभाल को लेकर स्पष्ट निर्देश हैं कि प्रसव निशुल्क होगा और प्रसव पीड़िता को एंबुलेंस सहित अन्य सुविधाएँ मुफ्त मिलेंगी। बावजूद इसके बेहजम सीएचसी में खुलेआम अवैध वसूली हो रही है। सवाल यह उठता है कि जब शासन स्तर पर इतनी सख्ती है, तो स्थानीय स्तर पर इस तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार कैसे जारी है?
स्थानीय लोगों का कहना है कि नर्स कुसुम के खिलाफ लंबे समय से शिकायतें होती रही हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति हुई। अब देखना यह होगा कि सीएमओ और उच्च प्रशासन इस प्रकरण में क्या ठोस कदम उठाते हैं।